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नरवा गरवा घुरवा बारी,कब आही कर्मचारियों की बारी के नारे का हुआ व्यापक असर महारैली में उमड़ा जनसैलाब

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कमलेश रजक/ मुंडा : छत्तीसगढ़ कर्मचारी अधिकारी फेडरेशन के आव्हान पर 19 दिसंबर दिन शनिवार को बूढ़ा तालाब के धरना स्थल पर राज्य के कोने कोने से कर्मचारी-अधिकारियों ने सरकार के नीति के विरुद्ध जबरदस्त धरना प्रदर्शन किया एवं महारैली आयोजित कर अपने एकजुटता और ताकत का ऐतिहासिक प्रदर्शन किया। धरना प्रदर्शन में 15 हजार से अधिक कर्मचारियों ने सरकार के विरुद्ध हल्ला बोला। गौरतलब है कि दोपहर 12 बजे से ही बस्तर,सरगुजा,बिलासपुर रायपुर एवं दुर्ग संभाग के सभी जिलों से कर्मचारियों का बूढ़ा तालाब में इकट्ठा होने का सिलसिला जारी रहा। आंदोलनकारियों के जमावड़ा के चलते आवागमन पूरी तरह से ठप हो गया था। आमसभा में कर्मचारी नेताओं ने सरकार के रवैये पर जमकर आक्रोश व्यक्त करते हुए कहा कि सरकारी अमले के हितों का सरकार उपेक्षा कर रही है शासकीय सेवकों के सेवा शर्तों को पूरा करने में सरकार कोरोना काल का बहाना बना रही है। लेकिन अन्य मामलों में सरकार बेधड़क व्यय कर रही है। सरकारी कर्मचारियों के संगठनों ने लंबे समय से महंगाई भत्ता,सातवे वेतनमान का बकाया एरियर्स, चार स्तरीय पदोन्नत वेतनमान वेतन विसंगति में सुधार,समयबद्ध क्रमोन्नत वेतनमान समयमान,पदोन्नति,अनियमित कर्मचारियों का नियमितीकरण, पुराण पेंशन योजना लागू करने,अनुकंपा नियुक्ति में शिथिलीकरण जैसे 14 सूत्रीय मामलों पर विभाग को ज्ञापन दिया था। लेकिन निराकरण नहीं होने के कारण छत्तीसगढ़ कर्मचारी अधिकारी फेडरेशन के बैनर में एकजुट होकर आंदोलन का रास्ता अख्तियार किया। कमल वर्मा संयोजक के नेतृत्व में बूढ़ा तालाब पर धरना स्थल कर्मचारियों का छावनी स्थल के रूप में तब्दील हो गया था। दोपहर 2 बजे के बाद वादा निभाओ महारैली निकला, जिसमें हजारों की संख्या में कर्मचारियों ने भाग लेकर आपने आक्रोश को व्यक्त किया। आंदोलन के तीसरे चरण को सफल बनाने में फेडरेशन से सम्बद्ध सभी संगठनों के पदाधिकारियों एवं फेडरेशन के जिला संयोजकों ने जमकर मेहनत किया था। आमसभा को पी आर यादव,सुभाष मिश्रा, कमल वर्मा,राजेश चटर्जी, सतीश मिश्रा, आर के रिछारिया,संजय सिंह,कैलाश चौहान, ओंकार सिंह,पंकज पाण्डेय,एन एच खान,दिनेश रायकवार,नीलकंठ शार्दूल राकेश शर्मा,अश्वनी वर्मा,रंजना ठाकुर सहित अनेक कर्मचारी नेताओं ने संबोधित करते हुए सरकार को अगाह किया कि सरकारी अमले की उपेक्षा बर्दास्त नही किया जाएगा। यदि सरकार ने समय रहते निर्णय नहीं लिया तो फेडरेशन उग्र आंदोलन को बाध्य हो सकता है।
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