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तिरछी नजर 👀 : हंगामा क्यूं बरपा….…. ✒️✒️….

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प्रदेश में शराबखोरी तेजी से बढ़ रही है। देश में शराब की खपत के मामले में छत्तीसगढ़ दूसरे नंबर पर है। चिंता की बात यह कि शराबखोरी में महिलाएं भी पुरुषों को टक्कर देती नजर आ रही हैं। बस्तर से रायपुर और अन्य जिलों में महिलाएं शराबखोरी कर रही हैं। पिछले दिनों नवा रायपुर के एक बड़े होटल में किटी पार्टी के दौरान जमकर हंगामा बरपा।
बताते हैं कि हफ्ते भर पहले हुई किटी पार्टी में राज्य सरकार के आला अफसरों की पत्नियां थी। मैडम पैग लगाने के बाद आपस में भिड़ गईं। जमकर गाली-गलौच हुई। इसकी गूंज बाहर तक सुनाई दे रही थी। सुरक्षा कर्मियों के हिम्मत नहीं हुई कि मैडमजनों को रोककर समझाइश दे सके। शोर-शराबे के बाद मामला किसी तरह शांत हुआ और फिर सभी मैडमजन लडखड़़ाते अपने-अपने घरों की तरफ रवाना हुई। बात भले ही नहीं बढ़ी लेकिन इसकी चर्चा प्रशासनिक गलियारों में हो रही है।

जोगी की प्रतिमा पर बवाल

प्रथम मुख्यमंत्री अजीत जोगी की प्रतिमा को उनकी जन्म स्थली पेंड्रा मरवाही में उखाडक़र कचरे में फेंक दिया गया था। आमरण अनशन और आंदोलन के बाद प्रतिमा को खड़ा कर दिया गया। इस मामले में एक अफसर और एक नेता की भूमिका महत्वपूर्ण मानी जा रही है। ये घटना कई राजनीतिक संदेश दे रहा है। इसके चलते कांग्रेस और जोगी कांग्रेस साथ आ गए हैं।

अब कवासी और सूर्यकांत साथ-साथ

कोयला घोटाले मामले में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर अफसर और कई प्रमुख लोग जेल से रिहा हो गए। रिहा होने के पहले ही शासन-प्रशासन में हलचल मच गयी थी। खुफिया टीम सभी लोगों पर निगाह रखी हुई है। अब सूर्यकांत तिवारी और कवासी लखमा ही जेल में रह गये हैं। अनवर ढेबर को भी मेरठ में दर्ज एक मामले को लेकर राहत मिलने की खबर है। अन्य प्रमुख लोगों पर भी 18 जुलाई को सुनवाई होने की खबरें आ रही है।

शहर विकास को लेकर राजनीतिक दांव-पेंच..

राजधानी रायपुर के विकास को लेकर चल रहे मंथन के दौरान जनप्रतिनिधियों के बीच मतभेद से अफसर भी परेशान हैं। स्काईवाक को लेकर मुख्यमंत्री से शिकायत की गयी है। पंडरी से मोवा थाने तक फ्लाई ओवर बनाने का मामला खटाई में पड़ चुका है। लगभग फ्लाई ओवर नहीं बनाने का फैसला लिया जा चुका है। कचना ओव्हर ब्रिज बनाने का मामला दो विधायकों के बीच मतभेद के कारण अटका हुआ है। कई बड़ी योजनाओं को लेकर राजधानी के जनप्रतिनिधियों में एक राय नहीं हो पाने के कारण राज्य के अधिकारी भी हाथ खींचने लगे है।


रिलीव करने केंद्र का पत्र

राज्य सरकार के दो सचिव अलबंगन पी और अलरमेल मंगाई डी केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर जा रहे हैं। उनकी पोस्टिंग हो चुकी है। दोनों को बुधवार को रिलीव कर दिया गया है। केंद्र सरकार ने दोनों की पोस्टिंग के बाद रिलीव करने के लिए चीफ सेक्रेटरी को पत्र लिखा है। ऐसे में उन्हें हर हाल में रिलीव करना होगा। इससे परे यह भी चर्चा है कि जनवरी में कुछ सचिव व प्रमुख सचिव स्तर के अफसर केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर जा सकते हैं। इनमें से कुछ ने अभी से तैयारी शुरु कर दी है। अगले सप्ताह प्रशासनिक फेरबदल होने की संभावना है।

चैम्बर में विवाद

चैंबर आफ कॉमर्स की कार्यकारिणी को लेकर विवाद शुरू हो गया है। यह कहा जा रहा है कि कई ऐसे भी पदाधिकारी बन गए हैं, जिन्होंने चैम्बर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री भवन की सीढ़ी तक नहीं चढ़ी थी।
राईस मिल एसोसिएशन के चेयरमेन रहे योगेश अग्रवाल का चैंबर ऑफ कामर्स से भी पत्ता साफ हो गया। उन्हें कार्यकारिणी में जगह नहीं दी गई। अलबत्ता, उनके बड़े भाई गोपालकृष्ण अग्रवाल को चेयरमेन बनाया गया है।
चर्चा है कि कार्यकारिणी की सूची जारी होने के बाद योगेश की चैंबर अध्यक्ष सतीश थौरानी से बहस भी हुई। कहा जा रहा है कि उनके खिलाफ शिकायतों को देखकर ही चैंबर में जगह नहीं दी गई है। विवादों के बीच कुछ पुराने व्यापारी नेता अदालत का दरवाजा खटखटाने पर भी विचार कर रहे हैं। आगे क्या होता है, यह तो आने वाले दिनों में पता चलेगा।

एक दिन के प्रोफेसर !

आखिरकार हड़बड़ी में सहायक प्राध्यापक से प्राध्यापक की पदोन्नति सूची जारी कर दी गई। सूची 31 मई से पहले जारी करने के लिए कई ताकतवर लोगों का दबाव भी था। इनमें पूर्व राज्यपाल रमेश बैस की भी सिफारिश थी। बैसजी के साले डॉ. बी.पी. कश्यप 31 तारीख को रिटायर होने वाले थे। वो पीएससी घोटाले में फंस गए थे। उनकी वेतनवृद्धि रोकी गई थी। सजा पूरी होने के बाद पदोन्नति के लिए प्रयास तेज किए। सरकार ने आनन-फानन में सूची जारी की। डॉ. कश्यप पदोन्नति मिलने के अगले दिन ही रियाटर हो गए। यानि वो एक दिन के प्राध्यापक बन ही गए। ये अलग बात है कि पदोन्नति सूची में कई गड़बड़ी सामने आ रही है। मृत लोगों को भी प्रमोट कर दिया गया है। कुछ भी हो, सारी खुदाई एक तरफ, जोरू का भाई एक तरफ।

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