प्रांतीय वॉच रायपुर वॉच

छत्तीसगढ़ में तीन दिन तक बरसेंगे बादल, कई जिलों के लिए यलो अलर्ट जारी, बिजली गिरने की चेतावनी

Share this

रायपुर। छत्तीसगढ़ में एक बार फिर मौसम करवट लेने वाला है। मौसम विभाग ने अगले तीन दिनों तक राज्य के अधिकांश हिस्सों में हल्की से मध्यम बारिश की संभावना जताई है। कई जगहों पर बादल गरजने और तेज हवाएं चलने के आसार हैं। हालांकि, 10 अक्टूबर के बाद उत्तर छत्तीसगढ़ में बारिश और गरज-चमक की तीव्रता कम होने की उम्मीद है।

मौसम विभाग ने बुधवार को 30 जिलों के लिए यलो अलर्ट जारी किया है। चेतावनी में कहा गया है कि इन इलाकों में बिजली गिरने और आंधी-तूफान की स्थिति बन सकती है। वहीं, सूरजपुर, कोरिया और बलरामपुर जिलों में मौसम सामान्य रहने का अनुमान है।

सरगुजा में बढ़ी ठंड

सरगुजा संभाग में तापमान में गिरावट दर्ज की जा रही है। सुबह और देर शाम के समय हल्की धुंध छाने लगी है। मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि आने वाले दिनों में प्रदेश के उत्तरी हिस्सों में ठंड बढ़ सकती है।

अक्टूबर में अब तक 157% ज्यादा बरसात

इस साल अक्टूबर महीने में अब तक सामान्य से 157 प्रतिशत अधिक बारिश दर्ज की गई है। आम तौर पर 5 अक्टूबर तक प्रदेश में करीब 21 मिमी वर्षा होती है, लेकिन इस बार 54 मिमी से ज्यादा बारिश हो चुकी है। इसका कारण सक्रिय मौसमी तंत्र और दक्षिण-पूर्वी हवाओं का प्रभाव बताया जा रहा है।

मानसून की विदाई में देरी

मौसम विभाग के अनुसार, देश के कई हिस्सों से मानसून की वापसी शुरू हो चुकी है, लेकिन छत्तीसगढ़ में अभी यह प्रक्रिया शुरू नहीं हुई है। आमतौर पर 5 अक्टूबर के आसपास सरगुजा की दिशा से मानसून लौटता है, मगर इस बार इसकी वापसी करीब 15 अक्टूबर के बाद होने की संभावना जताई गई है

बेमेतरा में सबसे कम, बलरामपुर में सबसे अधिक बारिश

प्रदेश में इस मानसून सीजन के दौरान अब तक औसतन 1167.4 मिमी वर्षा दर्ज की गई है। बेमेतरा में केवल 524.5 मिमी पानी गिरा, जो सामान्य से करीब 50% कम है। वहीं बलरामपुर में 1520.9 मिमी बारिश हुई, जो सामान्य से 52% अधिक है। बस्तर, रायगढ़ और राजनांदगांव जिलों में वर्षा सामान्य के आसपास रही है।

क्यों गिरती है बिजली?

मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार, बादलों में मौजूद पानी की बूंदें और बर्फ के कण हवा से रगड़ खाने पर विद्युत आवेश उत्पन्न करते हैं। कुछ बादलों में पॉजिटिव और कुछ में नेगेटिव चार्ज बनने से जब ये आपस में टकराते हैं, तो बिजली उत्पन्न होती है।

अक्सर यह बिजली बादलों के भीतर ही रहती है, लेकिन जब यह तीव्र हो जाती है तो जमीन तक पहुंच जाती है। ऐसे में पेड़, पानी, बिजली के खंभे या धातु के सामान बिजली के कंडक्टर बन जाते हैं, जिससे लोग इसकी चपेट में आ सकते हैं।

मौसम विभाग ने लोगों से अपील की है कि बारिश और गरज-चमक के दौरान खुले मैदानों, पेड़ों या बिजली के खंभों के पास न जाएं और सुरक्षित स्थानों पर शरण लें।**

Share this

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *