CHATTISGARH POLITICS INSIDE STORY:तिरछी नजर 👀: रसूख से कमाने वाले लोग
सत्ता पर सवार नेताजी ने पिछले दिनों एक उद्योगपति को फोन किया और उनसे परिवहन का ठेका देने की गुजारिश की। एक विधायक महोदय पहले ही अपने क्षेत्र के उद्योगों के सारे ठेके कबाड़ चुके हैं । एक माननीय को क्षेत्र से निकलने वाली रेत की हर गाड़ी में अपना हिस्सा चाहिए। ये सब नई बातें नहीं हैं बल्कि अब जनचर्चा में सुनाई दे रहीं हैं । दौलत कमाने की होड़ मची है। जनता हैरान है कि जो लोग हमारी तकदीर और तस्वीर बदलने की बात करते थे, वे अब अपनी हैसियत बदलने में जुटे हैं। ये भी पिछली सरकार जैसे निकले। सबसे ज़्यादा परेशान तो संगठन के कर्ता-धर्ता हैं। उनका मानना है कि यही हाल रहा तो दोबारा वापसी करना मुश्किल होगा। माल -मत्ता कमाने वालों को इन चिंताओं से क्या लेना-देना ?
त्रिदेव कौन?
चर्चा है कि भाजपा हाईकमान ने तीन लोगों को यहां भेजा है और ये सत्ता व संगठन पर पैनी नजर रखे हुए हैं। बताते हैं कि इन तीनों की सिफारिश पर कुछ बदलाव भी हो रहे हैं। अब प्रभावशाली लोग इनका ब्योरा जुटाने में लगे हैं। इनका पता ठिकाने की खोज में लगे हैं। पार्टी के कुछ लोग इस बात को नकार रहे हैं कि केन्द्रीय नेतृत्व ने किसी को भेजा है, लेकिन इसकी चर्चा काफी हो रही है।
साथी के साथ मंच साझा करने से परहेज़
सरकार के एक ताकतवर मंत्री अपने साथी मंत्री के साथ मंच साझा करने से कतरा रहे हैं। इसकी वजह यह है कि साथी मंत्री की छवि खराब हो चुकी है। साथी के विभाग में भर्राशाही चरम पर है। उन्हें कैबिनेट से बाहर करने की भी चर्चा रही लेकिन संगठन के प्रिय होने की वजह से कोई कुछ नहीं बिगड़ पा रहा है। ऐसे में ताकतवर मंत्री को छबि की चिंता है, और वो साथी के साथ यथा संभव मंच साझा करने से बच रहे हैं। यही नहीं, उन्होंने साथी से बोलचाल भी कम कर दिया है।
कौन बनेगा डीजीपी?
डीजीपी अशोक जुनेजा का कार्यकाल खत्म हो रहा है। गृह विभाग ने डीपीसी की तैयारी पूरी कर ली है। यह तैयारी पहले भी हुई थी लेकिन दो दिन दिल्ली से फोन आ गया और अशोक जुनेजा को एक्सटेंशन मिल गया।
बताते हैं कि यदि राज्य सरकार की चली, तो अरूण देव गौतम डीजीपी बनेंगे लेकिन केन्द्र ने दखल दिया, तो अशोक जुनेजा को फिर एक्सटेंशन मिल सकता है। केन्द्र सरकार नक्सल मामलों को लेकर सतर्क है। और उसी के अनुसार कोई कदम उठाएगी। अब आगे क्या होता, यह तो कुछ दिन बाद पता चलेगा।
नए विधायकों से भाजपा परेशान?
दुर्ग जिले के एक भाजपा विधायक के खिलाफ भारी शिकायत सरकार तक पहुंची है। बड़बोले माने जाने वाले विधायक, उद्योग पतियों से लेकर छोटे दुकानदारों तक को भी नहीं बक्श रहे हैं। पहली बार जीत कर आए ऐसे दर्जनों विधायकों के ख़िलाफ़ भी जानकारी पहुंच रही है ।पहली बार निर्वाचित हुए विधायकों को सम्हाल कर रहने को कहा गया है लेकिन कोई मान ही नहीं रहा है जाम कर बल्लेबाजी कर रहे हैं। इससे पार्टी चिंतित हो गई है।
राजनीतिक सलाहकार की नियुक्ति पर विवाद
साय सरकार में दो राजनीतिक सलाहकार नियुक्त होने की खूब चर्चा है। पार्टी संगठन के दोनों नेताओं के नाम भी सोशल मीडिया में चर्चा में हैं लेकिन महीने भर बाद भी दोनों की नियुक्ति आदेश नहीं निकल पाया है।
बताते हैं कि दोनों नेताओं के सलाहकार बनाने की सिफारिश आई, तो सरकार के भीतर इसका विरोध भी शुरू हो गया। एक के पुराने कारनामे विरोधियों ने ‘ऊपर’ तक पहुंचा दिया, तो दूसरे को लेकर यह शिकायत हुई, कि उनके विधायक रहते कारोबारी हलाकान रहते थे। इन शिकायतों में कितना दम है यह तो पता नहीं, लेकिन विवादों से बचने के लिए फिलहाल राजनीतिक सलाहकार की नियुक्ति का मामला ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है।
किरण देव की ताजपोशी..
चर्चा है कि किरण देव दोबारा भाजपा अध्यक्ष बनने के लिए तैयार नहीं थे। प्रदेश भाजपा के शीर्ष नेता उन्हें मंत्री बनाने के लिए एकमत थे लेकिन हाईकमान ने किरण देव की जगह किसी और को अध्यक्ष बनाने के पक्ष में नहीं थे। आखिरकार मजबूरी में किरण देव को अध्यक्ष बनने के लिए राजी किया गया।
प्रदेश प्रभारी नितिन नबीन रायपुर आते ही सीधे किरणदेव के घर गए, और केन्द्रीय नेतृत्व का संदेश दिया। इसके बाद बेमन से अध्यक्ष बनने के लिए तैयार हुए। किरण देव के अध्यक्ष बनने के बाद लता उसेंडी का कैबिनेट जगह मिलने की उम्मीदें बढ़ गईं हैं।