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कांग्रेस शासन काल मैं भी राजीव गांधी की मनसा अधूरी कमार भुंजिया अपने हाल में जीने को मजबूर

टीकम निषाद/देवभोग: समाज की समानता से दूर रहे कमार भुंजिया जनजाति के लोगों को समाज की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्ग श्री राजीव गांधी ने तरह-तरह की महत्वपूर्ण योजना निकाला ताकि उनकी आर्थिक में बढ़ोतरी हो और वह भी सामान्य जनों की तरह जीवन यापन कर सके । लेकिन योजनाओं का लाभ शत-प्रतिशत नहीं मिलने के चलते आज भी कमार भुंजिया जनजाति के लोगों की हालत जस की तस बनी हुई है। और यह माडाल झरिया बिजापद्र बासेनपानी हल्दी कछार तालपानी के कमार भुजिया लोगों की तस्वीर देख कहा जा सकता है। मतलब कांग्रेस के शासनकाल में भी कमाल भुंजिया लोगों की आर्थिक स्थिति में सुधार नहीं हो पाया है। जबकि सालाना इन लोगों के विकास के लिए 3 करोड़ से अधिक राशि का आवंटन होना बताया जाता है। बावजूद इसके हालत पर सुधार नहीं होना जिम्मेदारों की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़ा होता है। यहां बताना लाजमी हो गई थी मैंनपुर ट्रैवल ब्लॉक घोषित है। जहां कमार भुंजिया जनजाति के लोग निवास करते हैं ।और इस ब्लॉक के खररीपथरा पंचायत अंतर्गत बांसेनपानी कुत्राडोंगरी हल्दीकछार वीजा प्रदर तालपानी बियालेट गांव पर 500 से अधिक जनसंख्या में निवास कर रहे हैं। और यहां के अधिकांश कमार भुजिया परिवार आज भी वर्षों पहले बनाई गई लकड़ी मिट्टी के घर पर गुजर-बसर करने को मजबूर हैं। क्योंकि शासन की योजना इन तक नहीं पहुंच पाती। इसके अलावा इनकी पूछ परख भी नहीं होती ।तभी माडल झरिया से गोवर्धन के 12 साल और 9 साल का बेटा शिक्षा से वंचित रह गया है। परिवार चलाने में ही हालत पतली हो जाती है तो बच्चों की पढ़ाई का भार किस तरह उठाया जा सकता है ।कहकर गोवर्धन ने भी बच्चों पर पढ़ाई का फैसला छोड़ दिया है। गौरतलब हो कि गोवर्धन और पत्नी एवं चार बेटे और दो बहू के साथ कुटिया में निवास करते हैं। इसके साथ बासेनपानी में भी कमार लोगों का यही हाल है ।मगर अफसोस की बात है कि आजादी के बाद से लेकर आज तक न जिम्मेदार अधिकारी पूछ परख करने पहुंचे और ना क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों ने उनके विकास के लिए कोई पहल किया। तभी इन गांव के लोगों को सड़क से लेकर पानी रोजगार तक की स्वयं को व्यवस्था करनी पड़ती है। बमुश्किल विभागीय अधिकारियों ने छोटे-छोटे एक सोलर लाइट दिया है ।तब कहीं जाकर रोशनी मिलती है। जबकि कमार भुजिया प्रोजेक्ट के नाम पर करोड़ों रुपए आवंटित किया जाता है। लेकिन वह राशि इन लोगों के बीच बिल्कुल भी खर्च नहीं हो पाती। शायद यही वजह है कि आज भी कमार भुंजिया लोगों की दशा और दिशा नहीं बदल पाई है। बावजूद इसके हकीकत से अनजान मंत्री विधायक कलेक्टर सहित उच्च अधिकारियों के समक्ष विभागीय अधिकारी सत प्रतिशत योजनाओं का क्रियान्वयन करने की दावा कर अपनी पीठ थपथपा लेते हैं ।मगर जमीनी हकीकत कुछ और बयां करती है।

एल आर कुर्रे सहायक आयुक्त परियोजना गरियाबंद –: कमार भुंजिया प्रोजेक्ट में जितनी भी राशि मिलती है उक्त राशि कामार भुजिया लोगों के विकास में उपयोग किया जाता है

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