प्रांतीय वॉच

बाजार के ऊपर खेती किसानी छोड़ना चाहती है मोदी सरकार : भाव सिंह साहू

टीकम निषाद/ देवभोग।  भाजपा सरकार देश के 86 प्रतिशत किसानों को मुंगेरीलाल के हसीन सपने दिखाकर मंडिया के साथ एमएसपी भी खत्म करना चाहती है। तभी आजादी का दूसरा बड़ा किसान आंदोलन को अनदेखा कर रही है। जिससे पूरे किसान दूरदर्शिता सोच को ध्यान में रखते हुए तीन कृषि कानून बिल को वापस कराने के लिए आंदोलनरत है। केंद्र सरकार द्वारा बिल के फायदे बताकर कहा जाता है। कि यह कानून बिल से किसान कहीं भी किसी राज्य में अपने तय दाम अनुसार फसल बेच सकते हैं। लेकिन देश में अधिकतर 2 एकड  वाले किसान हैं। वह किसान अपनी फसल को बमुश्किल अपने प्रदेश की मंडियों में बेच पाते हैं। तो बिल पूरी तरह लागू होने के बाद कहां और किस दर पर बेचेंगे। मोदी सरकार सिर्फ और सिर्फ चंद पूंजीपतियों के लिए काम कर रही है। शायद यही वजह है कि किसानों की आय वही की वही खड़ी है ।उक्त बातें जिला कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष भाव सिंह साहू ने किसान चौपाल कार्यक्रम के दौरान कहा साहू ने आगे किसानों को संबोधित करते हुए बताया कि किसानों के साथ 11 बार बैठक किया गया इस बीच कईयों किसानों ने इस बिल को वापस कराने के लिए अपना शहादत तक दिया लेकिन भाजपा केंद्र सरकार किसानों के हित में फैसला लेना छोड़ देश के चंद पूंजीपतियों को फायदा पहुंचाने पर तुली हुई है ।बकायदा इसके लिए किसानों के साथ घुसपैठियों जैसा रवैया तक अपनाया गया। किसानों के रास्ते में बड़े-बड़े किले लगाए गए नुकले तार  से घेराव किया गया इसके अलावा कई तरह से किसानों के आंदोलन को तोड़ना चाहा। लेकिन भाजपा अपने मकसद में असफल रही। क्योंकि देश के कोने-कोने से किसानों को भरपूर समर्थन मिला है। यूपी-बिहार हरियाणा पंजाब सहित कई राज्य के किसान आंदोलन में हिस्सा लेकर औपचारिक एवं अनौपचारिक रूप से समर्थन कर रहे हैं ।इसी तर्ज पर ब्लॉक कांग्रेस कमेटी के नेतृत्व में 11 फरवरी को नदी पार बरही गांव से लेकर मुख्यालय तक पदयात्रा कर किसानों के आंदोलन को समर्थन दिया जाएगा। इसी तरह ब्लॉक कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष भूपेंद्र मांझी ने भी किसानों को संबोधित करते हुए कहा कि कांग्रेस पार्टी का कार्यकर्ता से लेकर शीर्ष नेता किसानों के साथ कंधे से कंधा मिला कर खड़े है। इसलिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के तीन  कृषि काला कानून का विरोध किया जा रहा है। किसान चौपाल के दौरान सेवन पुजारी श्रवण सतपति  अरुण सोनवानी बिलभद्र यादव के अलावा अन्य मौजूद रहे।

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