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झुग्गी झोपड़ी बस्ती के बच्चों को निःशुल्क शिक्षा देकर सवार रही भविष्य सौम्य रंजीता

 

कमलेश लहोतरे/ बिलासपुर सीपत।आज अधिकतर लोग अपनी भागदौड़ भरी जिंदगी में व्यस्त हैं और लगातार यह है कि हम अपने परिचितों और दोस्तों तक को समय नहीं दे पाते ऐसे माहौल में भी कुछ लोग ऐसे हैं जो झुग्गी बस्तियों स्लम एरिया में रहने वाले नन्हे नन्हे भारत के भावी भविष्य बच्चों के लिए समय निकालकर ऐसा काम कर रहे हैं जो एक मिसाल है। बिलासपुर की एक ऐसी बेटी सुश्री रंजीता दास विश्वाधारंम संस्कार शाला की संस्थापिका जो लगातार के पिछले 70 दिनों से तीन अलग-अलग जगहों झुग्गी झोपड़ी स्लम बस्तियों में जाकर बच्चों को शिक्षा एवं संस्कार देकर मुख्य धारा से जोड़ने का प्रयास रही है। बापू नगर स्थित मुर्राभट्टा बस्ती में पिछले 70 दिनों से एक पेड़ के नीचे बच्चों को बैठाकर शिक्षा दे रही है। ब्रह्म बिहार में 40 दिनों से बच्चों को पढ़ा रही है एवं 25 दिनों से नहर पारा वायरलेस बस्ती देवरीडीह के बच्चों को एक बरगद पेड़ के नीचे पढ़ाती है साथ ही गरीब बच्चे के परिवार के सदस्य की भांति हर संभव मदद भी कर रही है। पढ़ाई के साथ ही साथ बच्चों को संस्कारवान भी बना रही हैं। गरीब और फुटपाथ पर रहने वाले एवं भिक्षा मांगने वाले तथा कबाड़ी बीनने वाले बच्चों को शिक्षित करने का ऐसा जुनून है कि रोजाना समय निकालकर खुद इन अभावों में जी रहे इन बच्चों को शिक्षा दे रही हैं और पढ़ाने का तरीका भी ऐसा है कि जो बच्चा कल तक स्कूल के नाम से दूर भागते थे वह आज स्कूल का बैग लेकर खुशी से पढ़ने जाते हैं बच्चों में शिक्षा का आलख जगाना मुश्किल था लेकिन नामुमकिन नहीं। 12 बच्चों से शुरू हुआ यह सफऱ 180 बच्चों तक पहुँचा चुका हैं यदि हम प्रयास करें तो सड़को पर फुटपटो पर रहने वाले बच्चों के जीवन को आसान बना सकते हैं।
विश्वाधारंम जनकल्याण सेवा समिति के अध्यक्ष एवं संस्थापक  चंद्रकांत साहू जी ने बताया की पिछले 2 सालों में कोरोना काल के समय ऑनलाइन माध्यम के द्वारा बच्चों को संस्कारशाला के माध्यम से जोड़ा जा रहा था लेकिन खासकर स्लम एरिया के बच्चों के पास स्मार्टफोन ना होने की वजह से शिक्षा का स्तर काफी कम हो गया है एवं बच्चे संस्कार विहीन भी हो गए हैं। संस्कारशाला के माध्यम से बच्चों का शारीरिक बौद्धिक एवं मानसिक विकास हो रहा है एवं दिसंबर 2022 तक 25 सौ बच्चों को शिक्षा के साथ मुख्यधारा से जोड़ने का उनका प्रयास है।
इस पुनीत कार्य में 20 दिनों से शिक्षिका श्रीमती योगिता साहू, सुनीता रात्रे, सहयोग कर रही है।

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