मंडी शुल्क में की गई बढ़ोतरी के विरोध में व्यापारी कृषि उपज मंडी में धान की नीलामी में भाग नहीं ले रहे हैं। मंडी में खरीदी-बिक्री बंद है। वहीं राज्य सरकार के फैसले से नाराज व्यापारियों ने पोहा मिलों में उत्पादन बंद कर दिया है। इस चक्कर में मंडी और पोहा मिलों में काम करने वाले सैकड़ों मजदूरों के पास रोजी-रोजगार का संकट पैदा हो गया है।
इधर मंडी में नीलामी ठप होने से किसान निराश लौट रहे हैं। मंडी प्रबंधन की ओर से मंगलवार को मंडी व्यापारी संघ की बैठक भी बुलाई गई थी पर व्यापारी मानने को तैयार नहीं हुए। व्यापारियों का कहना है कि राज्य सरकार की ओर से उचित आश्वासन दिए जाने के बाद ही काम शुरू करेंगे। राज्य सरकार की ओर से मंडी शुल्क में 5 प्रतिशत की बढ़ोतरी कर दी है। 5 दिसंबर को जब व्यापारियों को इस नए आदेश का पता चला, तब से मंडी में धान की नीलामी में हिस्सा नहीं ले रहे हैं।
कई किसान तो धान को वापस घर ले गए हैं
खरीदी-बिक्री बंद होने की वजह से मंडी में सैकड़ों कट्टा धान डंप पड़ा हुआ है। कई किसान तो धान को वापस घर ले गए हैं। वहीं समर्थन मूल्य पर धान बेच चुके किसान शेष धान को मंडी में खपाने के लिए नीलामी शुरू होने का इंतजार कर रहे हैं। मंडी में खरीदी-बिक्री ठप होने से उन किसानों की भी परेशानी बढ़ गई है जो कि धान बेचकर परिवार की जरूरतों को पूरा करना चाह रहे थे। ऐसे में कई किसान बिचौलियों के पास भी धान बेच रहे हैं।
गुजर-बसर करना मुश्किल हो रहा
जब से मंडी में नीलामी बंद हुई है तब से यहां काम करने वाले हमाल, रेजा सहित अन्य मजदूर बेकार बैठे हुए हैं। इनके पास काम नहीं है। मजदूरों ने बताया कि धान की आवक होती है तब काम मिल पाता है। नीलामी बंद रहेगी तो किसान धान कैसे लाएंगे? ऐसे में मजदूरी तक नहीं मिल पा रही है। परिवार का गुजर-बसर करना मुश्किल हो रहा है। बताया कि रोज काम कर घर की जरूरतें पूरी करते हैं। ऐसे लंबे समय तक नीलामी बंद रहेगी तो भूखों मरने की नौबत आ जाएगी।