रायपुर वॉच

कलेक्टर्स कॉन्फ्रेंस : सिर्फ ‘गिरदावरी’ और ‘लॉ एंड ऑर्डर’ नही, ये भी होंगे विषय

  • बैठक में विभिन्न विभागों के वरिष्ठ अधिकारियों सहित सभी संभागायुक्त और कलेक्टर मौजूद रहेंगे

रायपुर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की अध्यक्षता में 21 अक्टूबर को कलेक्टर्स कॉन्फ्रेंस होगा। इसमें मुख्यमंत्री सभी जिलों के कलेक्टर से वन-टू-वन भी हो सकते हैं। छत्तीसगढ़ में इन दिनों कानून व्यवस्था, साम्प्रदायिक तनाव, तमाम वर्ग के आंदोलन और सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन में गड़बड़ी और लेट लतीफी को लेकर जिस प्रकार आवाज़ें उठ रही हैं, मुख्यमंत्री इसे लेकर कलेक्टरों से खास बातचीत कर सकते हैं। सरकारी सूत्रों का कहना है कि कानून व्यवस्था, गिरदावरी, राजस्व शिकायतों का निराकरण सहित कई अहम विषयों की समीक्षा होगी। सुबह 10 बजे से न्यू सर्किट हाउस ऑडिटोरियम में कॉन्फ्रेंस निर्धारित है। बैठक में विभिन्न विभागों के वरिष्ठ अधिकारियों सहित सभी संभागायुक्त और कलेक्टर मौजूद रहेंगे। जानकारी मिली है कि बैठक में कोविड-19 के आगामी संभावित वेव से निपटने की तैयारियों पर भी चर्चा होगी। आपको बता दें कि ग्राउंड लेवल पर कोरोना से निपटने में जिन-जिन वारियर्स की अहम और मजबूत भूमिका रही है, उनमें से कई कैडर पिछले कुछ दिनों से आंदोलित हैं, जिसके कारण विभागीय कामकाज प्रभावित हो रहे हैं। उदाहरण स्वरूप, बड़ी संख्या में आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को BLO (बूथ लेवल ऑफिसर) बनाकर उनकी निर्वाचन संबंधी ड्यूटी लगाई गई है। उन्हीं आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के ऊपर छत्तीसगढ़ को कुपोषणमुक्त बनाने की भी जिम्मेदारी है। उन्हें हर दिन आंगनबाड़ी केंद्र में पढ़ाने और गर्म भोजन देने के बाद गंभीर कुपोषित बच्चों के घर भी जाना है। ऐसे बच्चों की पोषण संबंधी देखभाल उन्हें सुबह से लेकर रात्रि के भोजन तक करना है। इस बीच मे उन्हें कोविड-19 वैक्सीनशन कैम्प की और सामान्य टीकाकरण की ड्यूटी अलग निभानी है। उन्ही आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को निर्वाचन जैसे अनिवार्य कार्य में BLO भी बनाया गया है। यानी उन्हें सर्वे, पंजी संधारण, रिपोर्टिंग, मतदान केंद्र की मौजूदा स्थिति, वहां टॉयलेट-बाथरूम की उपलब्धता आदि तमाम व्यवस्था की जानकारी जुटानी है। जाहिर है, ऐसे में कुपोषणमुक्ति के क्रियाकलाप तो सिर्फ कागजों पर ही होंगे। और इधर, मतदाता पुनरीक्षण जैसे महत्वपूर्ण कार्य की गुणवत्ता कैसी होगी समझ सकते हैं। जिलों में जमीनी हालात ये हैं कि SDM और तहसीलदारों पर BLO से काम लेने की जिम्मेदारी मढ़ दी गई है। बड़ी संख्या में BLO अभी तक मोबाइल में GARUDA APP डाउनलोड ही नही कर पाए हैं, जिसके जरिये भारत निर्वाचन आयोग के कार्य किये जाने हैं। वजह, कई BLO के पास मोबाइल नही है तो कई के पास नेटवर्क नही है। आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं ने तो मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी कार्यालय को पत्र भी सौंप दिया है कि जब उन्हें मोबाइल ही नही दिया गया तो APP किसमें डाउनलोड करें? उनका कहना है कि वे मानसेवी हैं, और अल्प मानदेय की बदौलत नया मोबाइल खरीद पाना सम्भव नही है। हैरानी की बात तो यह कि जिस महिला एवं बाल विकास विभाग को बेहतर ढंग से मालूम है कि आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को मोबाइल वितरण नही किया जा सका है, उस विभाग के अफसर भी आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं पर ‘पोषण ट्रैकर’ डाउनलोड करने का दबाव बना रहे हैं। नतीजा, ग्राउंड लेवल पर न तो निर्वाचन का काम समुचित ढंग से हो रहा है, न ही कुपोष्णमुक्ति का। अव्यवस्था की ऐसी स्थिति दूसरे विभागों और कार्यक्रमों में भी संभावित है। यह भी तय है कि कोरोना के आगामी संभावित लहर से निपटने के लिए ग्राउंड के उन्ही वारियर्स से पाला पड़ना है। संभावना है कि कलेक्टर और कमिश्नर से रू-ब-रू होते हुए CM ऐसे बुनियादी विषयों पर भी बातचीत करें, क्योंकि बैठक में संबंधित विभागों के जिम्मेदार अफसर भी मौजूद रहेंगे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *