रायपुर : अकाल की आशंका से जूझ रहे किसानों के लिए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बड़ी राहत की घोषणा की है। उन्होंने कहा है, सरकार हर विपदा में किसानों के साथ खड़ी है। वर्षा के अभाव में अगर फसल खराब होती है तो राज्य सरकार प्रति एकड़ 9 हजार रुपए की आर्थिक सहायता देगी। मछुआ कांग्रेस के राज्य स्तरीय सम्मेलन में शिरकत करने राजीव भवन पहुंचे मुख्यमंत्री ने यह घोषणा की। बघेल ने कहा, मुख्यमंत्री ने कहा कि राजीव गांधी किसान न्याय योजना के तहत अकाल से प्रभावित किसानों को भी छत्तीसगढ़ सरकार गिरदावरी सर्वे के आधार पर यह मदद देगी। इस सम्मेलन में खाद्य मंत्री अमरजीत भगत, नागरिक आपूर्ति निगम के अध्यक्ष रामगोपाल अग्रवाल, खनिज विकास निगम के अध्यक्ष गिरीश देवांगन, पाठ्य पुस्तक निगम के अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी, संसदीय सचिव कुंवर सिंह निषाद, कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता सुशील आनंद शुक्ला और छत्तीसगढ़ मछुआ कल्याण बोर्ड के अध्यक्ष एमआर निषाद आदि मौजूद थे।
33 महीनों के कामकाज गिनाए
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा, सरकार समाज के सभी वर्गों की भावनाओं, परंपराओं तीज- त्यौहारों एवं मान्यताओं का सम्मान और छत्तीसगढ़िया स्वाभिमान को आगे बढ़ा रही है। उन्होंने इस मौके पर राजीव गांधी किसान न्याय योजना, गोधन न्याय योजना, हाफ- बिजली बिल सहित अन्य योजनाओं का उल्लेख करते हुए कहा कि अब भूमिहीन कृषि मजदूर परिवारों को प्रति वर्ष 6 हजार रुपए की मदद देने के लिए राजीव गांधी ग्रामीण भूमिहीन कृषि मजदूर न्याय योजना शुरू की गई है। उन्होंने इस योजना का लाभ लेने के लिए पात्र लोगों को 1 सितंबर से पंजीयन कराने को भी कहा।
मछुआ समाज के लिए किए गए कामों का भी उल्लेख
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा, छत्तीसगढ़ सरकार ने बिलासपुर एयरपोर्ट का नामकरण मछुआ समाज की आराध्य बिलासा देवी के नाम पर किया है। राज्य में पहली बार मछुआ कांग्रेस का गठन हुआ है। मत्स्य पालन को कृषि का दर्जा दिया गया है। उन्होंने कहा कि इससे मत्स्य कृषकों और मछुआरों को किसानों के समान शून्य प्रतिशत ब्याज पर ऋण की सुविधा मिलने लगी है। किसानों के समान रियायती दर पर मत्स्य कृषकों को बिजली एवं मछली पालन के लिए तालाबों एवं जलाशयों को निशुल्क पानी मिलेगा।
पूनाराम और मदन निषाद की जीवनी छापेगी निगम
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने पंडवानी के मूर्धन्य कलाकार पूनाराम निषाद और मदन कुमार निषाद की जीवनी प्रकाशित करने की घोषणा की है। उन्होंने कहा, यह जरूरी है, ताकि आने वाली पीढ़ी को पुरखों के योगदान की जानकारी प्राप्त हो सके। जीवनी के प्रकाशन की जिम्मेदारी पाठ्य पुस्तक निगम को सौंपी गई है।