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बारिश की कमी से फसल पर मंडरा रहा संकट…. अकाल की आशंका से किसान चिंतित….

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  • खेतों में पडऩे लगी दरारें, महज 45.46 फीसदी हुई बियासी

बलौदाबाजार : सावन के समाप्त होने के बाद भी इस वर्ष इन्द्रदेव किसानों से रूठे नजर आ रहे हैं। बीते वर्षों में सावन के दौरान खेत, खलिहानों से लेकर नदी, नालों तक जहां भरपूर पानी भरा नजर आता था। वहीं, इस वर्ष तेज धूप की वजह से खेतों में अब दरार नजर आ रही है। बारिश ना होने से बलौदाबाजार जिले में किसान ना तो खेतों में खाद का छिडक़ाव कर पा रहे हैं और ना ही बियासी हो पा रही है। बारिश की कमी से फसल पर संकट मंडरा रहा है तथा किसानों को अकाल की काली छाया पास पहुंचती नजर आ रही है। विदित हो कि सावन के समाप्त होने तक जिले में महज 676 मिमी बारिश ही हुई है। जिले के किसान खरीफ के धान की फसल पर पूरी तरह से निर्भर हैं, परंतु बीते तीन सप्ताह से पर्याप्त बारिश नहीं होने से अब किसानों की चिंता बढऩे लगी है। वर्तमान में धान के पौधे लगभग 1 फीट के हो चुके हैं। सामान्य दिनों में इस समय तक किसानों का बियासी का कार्य पूरी हो चुका होता है, परंतु बारिश नहीं होने से जिले में अब तक महज 45.46 फीसदी ही बियासी हो पाई है। आसमान साफ होने, बारिश नहीं होने तथा तेज धूप तथा गर्मी की वजह से अब धान के खेत से पानी के साथ नमी भी तेजी से कम हो रही है। मौसम का हाल देखते हुए किसानों के साथ ही साथ कृषि विभाग के अधिकारी भी चिंतित हैं तथा अब लोगों को नुकसान की चिंता सता रही है। कृषि विभाग के अधिकारियों के अनुसार धान की फसल को अब तेज बारिश की बेहद आवश्यकता है अन्यथा इस वर्ष तगड़ा नुकसान तय है।जिले में कुल 1.50 हेक्टेयर में बियासी कार्य किया जाता है, परंतु बियासी के लिए खेतों में पर्याप्त पानी भरा हुआ होना अनिवार्य है। परंतु जिले में अब तक औसत से कम बारिश होने की वजह से महज 61 हजार हेक्टेयर में ही बयासी हो पाई है। रोपाई की तकनीक से धान की फसल का उत्पादन करने वाले किसानों ने 17 हजार हेक्टेयर की तुलना में लगभग 16 हजार हेक्टेयर में रोपाई पूरी कर लिया है, परंतु रोपाई के बाद अब बारिश रुक जाने से रोपाई करने वाले किसान भी बेहद चिंतित हैं। कृषक मेघनाथ, भगवान सिंह, प्यारेलाल, आशा प्रसाद, हरिप्रसाद, ओमप्रकाश आदि ने बताया कि वर्तमान समय में धान के खेत में पानी भरा हुआ होना चाहिए, जिससे बियासी कार्य पूर्ण हो जाता है। परंतु स्थिति यह है कि तेज धूप व गर्मी की वजह से खेत सूख रहे हैं इस सप्ताह बारिश होना बेहद आवश्यक है।

असिंचित फसलों को नुकसान तय
खुश्क मौसम तथा तेज धूप की वजह से अब किसानों के साथ ही साथ कृषि विभाग के अधिकारी भी बेहद चिंतित हैं। सामान्य तौर पर धान की फसल में इस अवस्था तक किसान बियासी कार्य पूर्ण कर यूरिया तथा अन्य खाद का छिडक़ाव करते हैं, ताकि पौधों की वृद्धि के साथ ही साथ तने की मजबूती तेजी से हो परंतु अब तक बियासी कार्य में पिछड़े किसान बारिश ना होने से अब खाद का छिडक़ाव भी नहीं कर पा रहे हैं। जिले में 80 फीसदी धान की फसल पूरी तरह से मानसूनी बारिश पर ही आधारित है जो बारिश नहीं होने से सूखने के कगार तक पहुंच सकती है।

कृषि अधिकारी का कहना है
कृषि विभाग के उप संचालक एस. एस. पैंकरा ने बताया कि बारिश की कमी से बियासी तथा खाद का छिडक़ाव कार्य भी पिछड़ रहा है। जिन किसानों के पास नदी, नालों तथा पंप से सिंचाई का साधन है, वे तो इंतजाम कर रहे हैं। परंतु फिलहाल असिंचित धान की फसल लेने वाले किसानों के लिए बारिश अत्यावश्यक है।

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