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वर्मी कंपोस्ट में रेत-मिट्टी मिलानें की शिकायत, जांच की रखी मांग

तिलकराम मंडावी/डोंगरगढ़ : जनपद सदस्य रवि अग्रवाल ने मंगलवार को एसडीएम को वर्मी कंपोस्ट में रेत-मिट्टी मिलाकर बेचनें की षिकायत की। उन्होंने बताया कि सोसायटियों के माध्यम से किसानों व पंचायत को वर्मी खाद का विक्रय किया जा रहा है। लेकिन अधिकतर किसानों की षिकायत है कि वर्मी खाद में रेत-मिट्टी की मात्रा निकल रही है। रवि ने बताया कि विभिन्न गौठानों में पिछलें महीनें गोबर खरीदी के अनुपात में वर्मी नहीं मिलनें की बात आई थी। परंतु अब उस गोबर की पूर्ति कही न कही वर्मी खाद में रेत-मिट्टी मिलाकर करनें का प्रयास किया जा रहा है। जनपद सदस्य अग्रवाल ने एसडीएम से प्रत्येक सोसायटी में क्षेत्र के पांच किसानों का दल गठित कर वर्मी खाद की गुणवत्ता की जांच करनें की मांग की है। अगर इसी तरह सरकार की महत्वकांक्षी योजना में लापरवाही बरती जाएगी तो किसानों का झुकाव जैविक खेती के प्रति कम हो जाएगा। अगर किसानों का विष्वास जैविक खाद के प्रति बढ़ाना है तो भौतिक सत्यापन कराया जाएं। वर्मी कंपोस्ट खरीदनें बना रहे दबाव, जबकि गुणवत्ता की कमीः द्विवेदी- भाजपा सहकारिता प्रकोश्ठ के प्रदेष संयोजक व मार्कफेड के पूर्व वरिश्ठ उपाध्यक्ष षषिकांत द्विवेदी ने प्रदेष सरकार के खाद आवंटन प्रणाली पर सवाल खड़े करतें हुए बताया कि सोसाइटियों से वर्मी कंपोस्ट खरीदनें के लिए किसानों पर दबाव बनाया जा रहा है। जबकि वर्मी खाद की गुणवत्ता में कमी है। बिना एक्सपर्ट की मौजूदगी में वर्मी कंपोस्ट तैयार हुई है। जबकि डीएपी व यूरिया की पूर्ति राज्य नहीं कर पा रही है। वर्मी कंपोस्ट खाद को 10 रूपए किलो में दिया जा रहा है। राज्य सरकार अपनी नाकामी छिपानें के लिए वर्मी कंपोस्ट को बेचनें के लिए दबाव बना रही है। महिला समूहों को मानदेय भी नहीं मिल पा रहा है।

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