कानपुर: कहते हैं कि कोई भी काम छोटा नहीं होता और ये बात कानपुर के चाट-पकौड़ी, खस्ता-कचौड़ी, चाय-समोसा और पान की गुमटी लगाने वालों की कमाई देखकर आप अच्छे से जान जाएंगे। इनकम टैक्स और जीएसटी की जांच में 250 से ज्यादा ऐसे रईसों का खुलासा हुआ है, जो सड़क किनारे खाने-पीने का सामान और यहां तक की फल-सब्जी बेचकर लाखों करोड़ों की संपत्ति के मालिक बन गए हैं।
देखने में गरीब लेकिन जेब से धन्ना सेठ निकले इन रईसों में शहर के कई कबाड़ी भी शामिल हैं। शहर के लालबंगला इलाके का एक और बेकनगंज के दो कबाड़ियों ने तीन संपत्तियां दो साल में खरीदीं जिनकी कीमत दस करोड़ से ज्यादा है। मजे की बात ये है कि सड़क किनारे धंधा करने वाले येे रईस इनकम टैक्स के नाम पर एक फूटी कौड़ी भी नहीं देते और जीएसटी रजिस्ट्रेशन तो इनके लिए दूर की बात है।
आर्यनगर की दो, स्वरूप नगर की एक और बिरहाना रोड की दो पान दुकानों के मालिकों ने कोरोना काल में पांच करोड़ की प्रॉपर्टी खरीदी है। मालरोड का एक खस्ते वाला अलग-अलग ठेलों पर हर महीने सवा लाख रुपए किराया दे रहा है। वहीं स्वरूप नगर, हूलागंज के दो खस्ते वालों ने दो इमारतें खरीद लीं तो बिरहाना रोड, मालरोड, पी रोड के चाट व्यापारियों ने जमीनों पर खासा निवेश किया।
हिंदुस्तान में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक इन व्यापारियों ने एक पैसा टैक्स का नहीं दिया लेकिन चार साल में करीब 375 करोड़ रुपए से ज्यादा की की प्रॉपर्टी के मालिक बन गए। ये संपत्तियां आर्यनगर, स्वरूप नगर, बिरहाना रोड, हूलागंज, पीरोड, गुमटी जैसे बेहद महंगे कमर्शियल इलाकों में खरीदी गईं। सड़क किनारे के इन धन्नासेठों ने 30 करोड़ से ज्यादा के केवीपी खरीद डाले और 650 बीघा कृषि जमीन के मालिक भी ये बन गए।