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उपजाऊ भूमि में आलू और नारियल की ले रहे फसल, अच्छी पैदावार से शत प्रतिशत आमदनी की उम्मीद

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बालकृष्ण मिश्रा/ सुकमा : सुकमा जिले के किसान अब सिर्फ धान, मक्का और सब्जी भाजी के फसलों तक ही सीमित नहीं है अब वे रबी फसल के अलावा विभिन्न विभागीय योजनाओं के लाभ से खरीफ फसल, सब्जी-भाजी, मछली पालन, कुक्कुट पालन सहित अन्य   आय उत्पादन के साधन से लाभ ले रहे हैं। गत वर्षो से जिले के कृषकों को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से नरवा योजना में तहत कार्यों से सिंचाई का रकबा बढ़ा है। नहर,नालियों के निर्माण और बोरवेल सुविधा का लाभ लेते हुए किसान खेतों में रबी फसल के अलावा अन्य फसल भी लेने लगे हैं।
सुकमा में कृषक ले रहे आलू की फसल
जिला मुख्यालय से लगभग 20 किलोमीटर दूर ग्राम नागारास के कृषक कवासी बोंके अपने 3 एकड़ कृषि भूमि पर आलू की फसल ले रहे हैं। उन्होंने बताया कि रेतीली मिट्टी और आलू उगाने के लिए अनुकूल जलवायु के कारण उन्होंने धान की फसल के पश्चात आलू की फसल लगाने का निर्णय लिया। इसके लिए उन्होंने 3 एकड़ भूमि पर लगभग 30 क्विंटल बीज बोए, जिसका परिणाम अच्छा दिख रहा है और उन्हें अच्छी पैदावार की उम्मीद है। आलू चूंकि रबी फसल है, इसलिए पानी की आवश्यकता कम होती है। खेत में बोरवेल की सहायता से फसल को पानी उपलब्ध कराने के लिए उन्होंने ड्रिप सिस्टम लगाया है। आलू की फसल लगभग 120 दिन में तैयार हो जाती है। उन्होंने बताया कि नवंबर माह में उन्होंने बीज रोपण किया है और मार्च महीने तक वे इसका लाभ ले सकेंगे।
छिंदगढ़ के कृषक नारियल की खेती से कमाएंगे आमदनी
छिन्दगढ़ विकासखण्ड के ग्राम पंचायत उरमापाल के किसान नारियल की फसल ले रहे हैं। नारियल की मांग पूजा एवं अन्य मांगलिक कार्यों के साथ गर्मी के दिनों में नारियल पानी के लिए रहती ही है। वर्तमान में गर्मी के दिनों में जिले में सीमावर्ती राज्य मलकानगिरी, आन्ध्र प्रदेश और तेलंगाना के ग्रामीण नारियल विक्रय के लिए सुकमा आते है। उष्णकटिबंधीय क्षेत्र होने के कारण सुकमा का जलवायु गरम है। गर्मी के दिनों में यहां लोग नारियल पानी का सेवन करना पसंद करते हैं।
ग्राम पंचायत उरमापाल के किसान बारसे गंगा राम और बारसे मनमोहन बृज ने अपने खेतों में पानी की पर्याप्त सुविधा को देखते हुए धान के अलावा भी अन्य फसल लगाने का फैसला किया। उन्होंने जमीन रेतीली होने के कारण नारियल पौधा रोपण में रुची दिखाई। कृषकों ने बताया कि कृषि विभाग सुकमा द्वारा वित्तीय वर्ष 2016-17 में केराचन्द्र प्रजाति के 50 नग नारियल पौधा रोपण कार्य किया गया था। इन पौधों को किसान खेत के मेड़ों में लगाए जिससे नियमित फसल के साथ ही नारियल के पौधों को भी पानी की पर्याप्त मात्रा मिले। दो वर्ष बाद नारियल पेड़ में फल आना पूर्ण रूप से प्रारंभ हो गए और अब फल भी आने लगे हैं। कृषकों को नारियल उत्पादन से अच्छी आमदनी की उम्मीद है। नारियल की अच्छी पैदावार होने से स्थानीय लोगों को गर्मी के दिनों में उचित दाम में नारियल उपलब्ध हो जाएंगे। साथ ही लोगों को नारियल एवं नारियल पानी के लिए अन्य राज्यों पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा।
नारियल पेड़ एक बार लगाने के बाद 40 से 45 साल तक फल का उत्पादन बीना किसी निवेश के देता है। नारियल के एक पेड़ में लगभग 200 फल का उत्पादन एक साल में मिल जाता है। हितग्राही को 50 पौधों से 1,80,000 रुपए आमदनी अनुमानित है। जिसमें बीना किसी खर्च के सालाना आमदनी कमाई जा सकती है।
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