रायपुर : नवा रायपुर में चल रहे अवैध बाल गृह से मुक्त कराए गए 19 बच्चों की जांच करने मध्यप्रदेश से पुलिस की टीम राजधानी के माना स्थित शासकीय बालगृह पहुंच चुकी है। महिला एवं बाल विकास विभाग के परियोजना अधिकारी अशोक पांडेय ने बताया कि मंडला की बाल संरक्षण समिति एवं कलेक्टर से चर्चा की है। टीम में मंडला SDOP समेत छह सदस्य शामिल हैं, जो अवैध बालगृह से मुक्त हुए 19 बच्चों से पूछताछ कर रहे हैं। मंडला पुलिस के साथ महिला एवं बाल विकास के अधिकारी भी मौजूद हैं। बताया जा रहा है कि मंडला पुलिस टीम बच्चों को वापिस ले जा सकती है।बच्चों और अभिभावकों से बातचीत करने के बाद सभी बच्चों को मंडला में ही पुनर्वास करने ले जाया जाएगा।
दरी-चादर पर सो रहे थे बच्चे
मंत्रालय से महज पांच किलोमीटर दूर अवैध बाल गृह का पर्दाफाश होने के बाद महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा कार्रवाई करने के लिए पुलिस को लिखे गए पत्र के बाद रविवार को पुलिस ने उन अधिकारियों, कर्मियों का बयान दर्ज किया। इसमें अधिकारियों ने बताया है कि बाल गृह पर कार्रवाई के दौरान पाया गया कि जेजे एक्ट के नियमों का खुलेआम उल्लंघन किया जा रहा था।
बाल गृह का पंजीयन नहीं है और सात से 12 साल तक के बालक-बालिकाओं सभी को 20 दिनों से एक ही कमरे में दरी-चादर पर सुलाया जा रहा था। खाने के लिए केवल दाल-भात दिया जा रहा था। यह मामला लगातार तूल पकड़ता जा रहा है क्योंकि अब इस मामले में ईसाई मतांतरण का खेल होने की बात भी सामने आ रही है। इसका संचालक नरेश महानंद बाइबिल पढ़ाता था।
वह चंडीगढ़ में भी बाइबिल का शिक्षक था और कोरोना काल में ऑनलाइन बाइबिल की शिक्षा दे रहा था। इसके अलावा वह नौकरी के सिलसिले में मॉरीशस और अन्य देशों की यात्रा भी कर चुका है।