
शराब दुकानों के निजी संचालन पर फिर हो सकता है फैसला, बढ़ेगी पारदर्शिता व राजस्व
रायपुर। छत्तीसगढ़ सरकार आगामी वित्तीय वर्ष 2026-27 के लिए नई आबकारी नीति तैयार करने की दिशा में तेजी से काम कर रही है। सूत्रों के अनुसार, सरकार शराब दुकानों के संचालन को एक बार फिर ठेका पद्धति के माध्यम से निजी हाथों में देने पर गंभीरता से विचार कर रही है। माना जा रहा है कि इस कदम से राज्य में शराब बिक्री व्यवस्था अधिक पारदर्शी होगी और प्रतिस्पर्धा बढ़ने से राजस्व में भी उल्लेखनीय वृद्धि होगी।
वर्तमान में सरकारी मॉडल लागू होने के बाद कई बार बिक्री केंद्रों पर अव्यवस्था, भीड़ प्रबंधन की कमी और गड़बड़ी जैसे मामलों की शिकायतें सामने आईं। विशेषज्ञों का मानना है कि निजी ठेका प्रणाली से ग्राहकों को बेहतर सेवा, सुव्यवस्थित वितरण और गुणवत्तापूर्ण उत्पाद उपलब्ध कराने में आसानी होगी।
सूत्रों के अनुसार, आबकारी विभाग इस प्रस्ताव पर विस्तृत मंथन कर रहा है। इसी कड़ी में आबकारी सचिव आर. प्रसन्ना ने हाल ही में विभागीय अधिकारियों के साथ बैठक कर नीति को अधिक पारदर्शी और राजस्व उन्मुख बनाने के निर्देश दिए हैं। विभाग का मानना है कि नए मॉडल से राज्य की आमदनी में बड़ा इजाफा संभव है।
गौरतलब है कि वर्ष 2017 में तत्कालीन सरकार ने शराब बिक्री व्यवस्था को सरकारी नियंत्रण में ले लिया था। अब अनुभवों के आधार पर यह महसूस किया जा रहा है कि संतुलित निजी ठेकेदारी प्रणाली राज्य के हित में अधिक प्रभावी हो सकती है। यदि यह प्रस्ताव लागू होता है, तो छत्तीसगढ़ की नई आबकारी नीति देशभर में पारदर्शिता और जवाबदेही का एक नया मॉडल पेश कर सकती है।
