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डीएवी स्कूल में टीचर का अत्याचार! : 47 बच्चों को जड़े थप्पड़, बच्चियां भी नहीं बचीं

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डीएवी स्कूल में टीचर का अत्याचार! : 47 बच्चों को जड़े थप्पड़, बच्चियां भी नहीं बचीं

गुस्साए अभिभावकों ने किया हंगामा, कार्रवाई की मांग – प्राचार्य बोले, दीपावली तक सुधार नहीं हुआ तो होंगे बदल

बिलासपुर। बसंत बिहार स्थित डीएवी पब्लिक स्कूल में अनुशासन सिखाने के नाम पर शिक्षक द्वारा बच्चों से मारपीट का चौंकाने वाला मामला सामने आया है।
कक्षा में शोर मचा रहे मासूम बच्चों पर हिंदी शिक्षक सुदर्शन जायसवाल इतने नाराज हुए कि उन्होंने एक-एक कर 47 छात्रों को थप्पड़ जड़ दिए, जिनमें 7 बच्चियां भी शामिल हैं।
इसके बाद सभी लड़कों को बेंच से नीचे जमीन पर बिठा दिया, और छात्राओं को धमकी दी कि “कल तुम लोगों की कॉपी चेक होगी।”

पूरे पीरियड के दौरान शिक्षक ने कुछ भी नहीं पढ़ाया। अभिभावकों का आरोप है कि शिक्षक अक्सर बच्चों के साथ मारपीट करते हैं। घटना की जानकारी मिलते ही अभिभावक स्कूल पहुंचे और बाहर जमकर हंगामा किया। उन्होंने टीचर को स्कूल से हटाने की मांग की।

 डर के मारे बेंच के नीचे छिपे बच्चे

नाम न छापने की शर्त पर एक छात्रा ने बताया, “सर आते ही बिना कुछ कहे सभी को थप्पड़ मारने लगे। कई बच्चे डर के मारे बेंच के नीचे छिप गए……बताया जा रहा है कि एक बच्ची के चेहरे पर सूजन भी आ गई है।

प्राचार्य ने पहले अभिभावकों से मिलने से किया इनकार

जब मारपीट की जानकारी पेरेंट्स तक पहुंची तो वे स्कूल पहुंचे।लेकिन प्राचार्य से मुलाकात की अनुमति देर तक नहीं मिली।हंगामे के बाद जबरन दबाव डालने पर अभिभावकों को अंदर बुलाया गया।

अभिभावकों ने कहा,

“यह शिक्षक पहले भी कई बार बच्चों को मार चुके हैं। अब हद हो गई है, इसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

दीपावली तक मांगा गया समय

प्राचार्य ने कहा कि “अब तक इस शिक्षक की कोई शिकायत नहीं आई है, फिर भी उन्हें दीपावली तक सुधार का अवसर दिया जाएगा। यदि सुधार नहीं दिखा, तो स्थानांतरण पर विचार होगा।”
अभिभावक इस जवाब से असंतुष्ट रहे।

शिक्षक बोले – उदंड हैं बच्चे, सुधारने के लिए मारा

शिक्षक सुदर्शन जायसवाल ने कहा,

“मेरा उद्देश्य बच्चों को सुधारना है। वे बात नहीं मान रहे थे, ब्लैकबोर्ड पर लिखा नहीं रहे थे, इसलिए अनुशासन के लिए थप्पड़ मारा।”

डीईओ बोले – बच्चों से मारपीट अनुचित, जांच होगी

डीईओ विजय तांडे ने कहा,- “बच्चों से मारपीट उचित नहीं है। शिकायत आने पर जांच कराकर कार्रवाई की जाएगी। जरूरत पड़ी तो राज्य शासन को पत्र भेजा जाएगा।”

टिफिन सबमिशन सर्कुलर बना नई उलझन

गेट पर टिफिन न लाने के नियम पर उठे सवाल – अभिभावक बोले, “भूखा बच्चा क्या करे?”

डीएवी पब्लिक स्कूल ने 30 जून 2025 को एक सर्कुलर जारी किया था, जिसमें लिखा है – “अभिभावकों को सख्त सलाह दी जाती है कि वे स्कूल के समय में गेट पर टिफिन बॉक्स जमा करने न आएं।टिफिन सुबह बच्चे के साथ ही भेजें।अवकाश से पहले या कक्षा के समय गेट पर कोई टिफिन स्वीकार नहीं किया जाएगा।”

 

यह आदेश लागू तो कर दिया गया, लेकिन इसमें यह नहीं बताया गया कि अगर कोई बच्चा टिफिन लाना भूल जाए तो क्या होगा?
क्या वह भूखा रहेगा, या दूसरों बच्चों से थोड़ा-बहुत बांटकर खाएगा?

अभिभावकों का कहना है कि हर परिवार की परिस्थितियाँ अलग होती हैं —

“कई बार मां-बाप सुबह से ही काम पर निकल जाते हैं,
घर में बच्चे दादी या किसी रिश्तेदार के भरोसे रहते हैं।
ऐसे में अगर टिफिन तैयार नहीं हो पाया या भूल गया, तो यह बच्चे बच्चे की गलती हैं

वे सवाल उठा रहे हैं कि स्कूल को अनुशासन के साथ संवेदनशीलता भी रखनी चाहिए, क्योंकि भूखे बच्चे से पढ़ाई की उम्मीद करना व्यावहारिक नहीं है।

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