रायपुर पुलिस ने तिल्दा के बड़े सटोरिये नंदलाल और उनके बेटे गोविंद को पुलिस ने गिरफ्तार किया, तो इसकी राजनीतिक हल्कों में काफी चर्चा रही। गोविंद तिल्दा नगर पालिका का पार्षद भी है। वो पहले भाजपा में था। टिकट नहीं मिलने पर निर्दलीय चुनाव लड़ा और पार्षद बन गया। गोविंद को लेकर यह बताया गया कि वो गजानन आनलाईन सट्टा एप का संचालक भी हैं। उसकी गिनती करोड़पतियों में होती है। मगर उसकी गिरफ्तारी से भाजपा के कई लोग टेंशन में हैं।
बताते हैं कि गोविंद को भाजपा में शामिल कराने में एक पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष की भूमिका रही है। यही नहीं, सरकार के एक मंत्री का गोविंद के यहां आना-जाना था। यही नहीं, गोविंद मंत्रीजी की खातिरदारी में कोई कमी नहीं रखता था। हालांकि पार्टी के कई लोगों ने उसके खिलाफ शिकायत भी की थी और इस वजह से उसकी टिकट भी काट दी गई थी। मगर अब वो जेल में हैं तो कई लोगों को उससे संबंध होने का भय सता रहा है। वैसे भी महादेव एप को लेकर भाजपा, कांग्रेस के लोगों पर निशाना साधती रही है। महादेव आनलाईन सट्टा मामले में भूपेश सरकार में ताकतवर रहे कई लोगों के खिलाफ प्रकरण दर्ज भी है। दूसरी तरफ, गोविंद के साथ भाजपा के कई ताकतवर लोगों तस्वीर भी है। चर्चा है कि आने वाले दिनों में कांग्रेस के लोग, गजानन सट्टा मामले को लेकर भाजपा पर हमला बोल सकते है। ऐसे में सट्टे बाजी को लेकर कांग्रेस-भाजपा के बीच वाकयुद्ध शुरु हो़ सकता है। फिलहाल तो पुलिस कार्रवाई पर नजरे टिकी हुई है।
तेंदूपत्ता बोनस घोटाले का राज
तेंदुपत्ता बोनस घोटाले की जांच चल रही है। इस मामले में ईओडब्ल्यू-एसीबी ने सुकमा के पूर्व डीएफओ को गिरफ्तार भी किया है। घोटाले की कहानी भी थोड़ी अलग है। घोटाला तो तीन साल पहले का था। चर्चा है कि स्थानीय प्रमुख ताकतवर नेताओं की हिस्सेदारी थी।
अफसरों ने अपने विभाग के ‘ऊपर’ के लोगों को भी संतुष्ट किया था। बस, बस्तर संभाग के एक सीनियर अफसर रह गए थे। सीनियर ने अपनी हिस्सेदारी मांगी, तो उन्हें कोई महत्व नहीं मिला। इसके बाद शिकायत करवा दी और लिखा-पढ़ी भी शुरू हो गई। डीएफओ को अपने संपर्को पर भरोसा था। पंचायत चुनाव भी आ गए। विभाग की मुखिया महिला अफसर ने कार्रवाई के लिए दबाव बनाया। उनका दबाव काम आया और ईओडब्ल्यू-एसीबी ने कार्रवाई शुरू कर दी। और जब मुसीबत आती है तो कई बार संपर्को का फायदा भी नहीं मिल पाता। कुछ ऐसा ही डीएफओ के साथ हुआ और वो जेल की हवा खा रहे हैं।
नक्सली मुठभेड़ की कथा..
भारत-पाकिस्तान युद्ब के दौरान नक्सलियों के मुठभेड़ में मारे जाने की खबर को लेकर प्रदेश में बवाल मचा हुआ है। आमतौर पर लोगों को लग रहा है कि मुख्यमंत्री विष्णु देव साय और गृहमंत्री विजय शर्मा के बीच समन्वय या मतभेद है लेकिन कहानी कुछ और है। नक्सलियों के मारे जाने की खबर बाहर आने के बाद दिल्ली से बड़े नेता का फोन आ गया कि इस समय भारत-पाकिस्तान युद्ब चल रहा है और इसी दौरान बस्तर में मुठभेड़ की खबर आने से गलत संदेश जा रहा है। खबरें दूसरी दिशा में जा रही है।
हाईकमान के निर्देश के बाद गृहमंत्री विजय शर्मा ने एक वीडियो बनाकर नक्सल की घटनाओं का खंडन किया। संकल्प अभियान नहीं चलाए जाने की जानकारी दी। व्यक्तिगत रूप से मीडिया हाऊस में फोन लगाकर खबर रुकवाई। सीएम साय का बयान अचानक आने के कारण मामला उजागर होकर पब्लिक में आ गया था। अब युद्ध का माहौल समाप्त होने के बाद डीजीपी,सीआरपीएफ सहित प्रदेश के बड़े तमाम पुलिस अफसरों ने पत्रकार वार्ता लेकर एक-एक शव को दिखाया। दिल्ली से बड़े बड़े पत्रकारों को बुलाया गया पूरे घटनाक्रम का पटाक्षेप करने की कोशिश की। फिर मामले में भूपेश बघेल ने हवा देकर राजनीति कर दी।
स्काई वाक को बड़ा मुद्दा बनाने की तैयारी…
राजधानी रायपुर में स्काई वाक बनाने को लेकर सरकार ने राशि स्वीकृत कर दी है। इसके बाद जोरदार तरीके से विवाद शुरू हो गया है। स्कार्ई वाक को लेकर भाजपा-कांग्रेस में जोरदार बहस छिड़ गया है। पश्चिम विधानसभा के विधायक राजेश मूणत ने पत्रकार वार्ता लेकर स्काईवाक बनना फायदेमद है। इसके कारण गिनाए। कांग्रेस स्काई वाक को लेकर जोरदार तरीके से आंदोलन की तैयारी में है। पोस्टर भी बनकर तैयार हो गये है रणनीति बनने लगी है। स्काई वाक को लेकर सांसद बृजमोहन अग्रवाल विधायक पुरन्दर मिश्रा,मोतीलाल साहू, सुनील सोनी ने चुप्पी साध ली है। बताया जाता है कि बृजमोहन को छोडक़र बाकी विधायक भी स्काई वाक के झंझट में नहीं पडऩा चाहते।
अरुणदेव गौतम सब पर भारी…
छत्तीसगढ़ पुलिस में स्थायी डीजीपी नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू होते ही दांव -पेच चल रहे हैं। यह माना जा रहा है कि प्रभारी डीजीपी अरुण देव गौतम के नाम पर अंतिम सहमति बन जाएगी लेकिन जी.पी.सिंह को भी प्रमुख दावेदार माना जा रहा है। जी.पी.सिंह को भाजपा नेताओं का साथ होने के कारण कोई महत्वपूर्ण पद भी दिए जाने की संभावना है। जेल डीजी हिमांशु गुप्ता सारे घटनाक्रमों पर पैनी निगाह रखे हुए हैं।
कबीरधाम जिला भाजपा की कार्यकारिणी पर रोक..
कबीरधाम जिला शहर भाजपा कार्यकारिणी को लेकर पार्टी नेताओं के बीच मतभेद उभरकर सामने आ रहे हैं। प्रदेश अध्यक्ष किरण देव की सहमति पर बनी कार्यकारिणी में विजय शर्मा समर्थकों के नाम कम होने के कारण नाराजगी बढ़ी है। कवर्धा शहर की कार्यकारिणी में दूसरी नेताओं की अधिक चलने के कारण प्रदेश महामंत्री रामू रोहरा ने कवर्धा शहर, कवर्धा ग्रामीण पिपरिया, बोड़ला, रेंगाखार, सहसपुर लोहारा,भोरमदेव मंडल के पदाधिकारी एवं कार्यसमिति की घोषित सूची को स्थगित कर दी है। नियुक्ति पर हल्ला मचने के कारण 16 मई को गुपचुप तरीके से आदेश निकालकर मामले को ठंडा करने की कोशिश की गयी।
तारीख पर तारीख…
रायपुर के भाजपा सांसद बृजमोहन अग्रवाल ने भले ही तारीख पर तारीख वाली बात एसीआई और अंबेडकर अस्पताल के मरीजों के लिए कही हो, लेकिन यह बात मंत्री पद के दावेदार विधायकों के लिए भी फिट बैठती है। भाजपा के दर्जनभर विधायक मंत्री पद को लेकर उम्मीद से हैं। लेकिन मंत्रिमंडल विस्तार की तारीख ही तय नहीं हो पा रही। सुशासन तिहार शुरू होने से पहले विस्तार की अटकलें थी। स्वयं मुख्यमंत्री ने भी संकेत दिए थे कि तीन और मंत्री कैबिनेट में शामिल किए जा सकते हैं, लेकिन यह टल गया। पहले भी दो-तीन बार इसी तरह तारीख आगे बढ़ी थी। अब यह माना जा रहा है कि विस्तार सुशासन तिहार का चौथा चरण पूरा होने के बाद ही होगा। लेकिन पक्का कुछ भी नहीं है। यानी उम्मीदों की तारीख पर तारीख बढ़ रही है। इधर, दावेदारों की बेचैनी भी बढ़ रही है। कुछ दावेदार जहां पूरी तरह शांत हो गए हैं, वहीं कुछ ने इसे भाग्य पर छोड़ दिया है। बहरहाल, बृजमोहन की तारीख पर तारीख वाली चिट्ठी से कई दावेदार खुश बताए जाते हैं।