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मकर संक्रांति पर नगर में हुआ काइट फेस्टिवल रंग-बिरंगे पतंगों से हुआ आकाश रंगीन

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मकर संक्रांति पर नगर में हुआ काइट फेस्टिवल रंग-बिरंगे पतंगों से हुआ आकाश रंगीन

– सुरेश सिंह बैस
बिलासपुर। मकर संक्रांति के अवसर पर रोटरी क्लब ऑफ बिलासपुर द्वारा व्यापार विहार स्थित पंडित दीनदयाल उपाध्याय उद्यान में पतंग उत्सव का आयोजन किया गया। इस काइट फेस्टिवल में बड़ी संख्या में शहर वासी उपस्थित हुए और पतंगबाजी का आनंद उठाया।मकर संक्रांति विविधता का पर्व है। इस दिन सूर्य देव मकर राशि में प्रवेश करते हैं। कहीं इसे फसल की कटाई से जोड़ा जाता है। कहीं यह पितरों की उपासना तो कहीं दान पुण्य का पर्व है। मकर संक्रांति पर पतंग उड़ाने की भी प्राचीन परंपरा है। इसका धार्मिक आधार भी है। तमिल रामायण के मुताबिक मकर संक्रांति के दिन सबसे पहली बार पतंग भगवान श्री राम ने उड़ाई थी। ऐसा कहा जाता है कि उनकी पतंग इतनी ऊंची उड़ गई थी कि वह इंद्रलोक तक पहुंच गई थी। तभी से मकर संक्रांति पर पतंग उड़ाने की परंपरा बनी है। पतंग उड़ाना दरअसल शुभता और खुशी का भी प्रतीक है। पतंग को इंसान के मन से भी जोड़ा जाता है, जो स्वभाव से ही ऊंची उड़ान भरना चाहता है। वास्तविक ना सही पतंग के रूप में ही उसकी कामनाएं आसमान छूती है।
मकर संक्रांति पर बच्चों से लेकर बड़े और हर उम्र के लोग पतंग उड़ाते हैं। चिकित्सकों का कहना है कि मकर संक्रांति के बाद लोग जब खुले मैदान या छत पर दिन में पतंग उड़ाते हैं तो उन्हें सूर्य से विटामिन डी मिलती है जो शरीर के लिए बेहद जरूरी है। साथ ही पतंग उड़ाने से फिजिकल एक्टिविटी भी होती है। पतंग सामाजिक एकता को भी बढ़ाता है क्योंकि पतंग समूह में सभी बिना किसी भेदभाव के सभी एक साथ मिलकर उड़ाई जाती है। मकर संक्रांति पर देश भर में जगह-जगह काइट फेस्टिवल होते हैं।नगर में भी रोटरी क्लब ऑफ बिलासपुर द्वारा व्यापार विहार स्थित पंडित दीनदयाल उपाध्याय उद्यान में पतंग उत्सव का आयोजन किया गया, जहां लोगों ने बढ़ चढ़कर पतंगबाजी की। आसमान रंगीन पतंगो से भर गया। मेहमानों को पतंग और मांजा उपलब्ध कराए गए।
मकर संक्रांति पर आयोजित पतंग उत्सव में शहर के गणमान्य और आम – खास लोगों ने भाग लिया। इस अवसर पर यहां मेहंदी लगाने की भी व्यवस्था की गई। साथ ही मकर संक्रांति के प्रतीक तिल के लड्डू और गजक बांटे गए।

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