इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय में सहायक प्राध्यापक 2024 की भर्ती में पेंच।
भर्ती निकाली और लगभग 6 करोड़ का वारा न्यारा।
घूस लेकर भर्ती करने की लिस्ट वायरल।
26 सहायक प्राध्यापक के साथ घूस की रकम भी वायरल लिस्ट में।
सोशल मीडिया में जमकर हो रहा है वायरल।
लिस्ट के नाम पर गर लगी मुहर तो वायरल लिस्ट स्वतः हो जायेगी स्पष्ट।
एम सी बी/ राजधानी रायपुर समेत प्रदेश के कई जिलों में एक पेज की लिस्ट वायरल हो रही है जिसमे इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय में सहायक प्राध्यापक पद 2024 की भर्ती में कुल 26 पदों का जिक्र किया गया है। उक्त लिस्ट में भर्ती किए जाने वाले उम्मीदवार, भर्ती का पद और उगाही की जाने वाली रकम लिखी गई है। एक कहावत हमेशा सुनने को मिलती है कि चिंगारी जहा लगती है धुआं वही से निकलता है यानि वायरल की गई लिस्ट में सच्चाई जरूर कुंछ ना कुछ है। दरअसल जब से लिस्ट वायरल की गई है तक से उन उम्मीदवारों के चेहरे पर साफ पसीना देखा जा रहा है जिनका नाम लिस्ट में है लेकिन उस महानुभाव के चेहरे पर अभी तक सिकन भी नही दिखा जो इस करस्तानी का पूरा मास्टरमाइंड है।
चलिए सिलसिलेवार खबर में लिखे गए तथ्यों पर पहले गौर फरमाए –
ज्ञात रहे कि बीते दिवस इंदिरा गाँधी कृषि विश्वविद्यालय में 32 सहायक प्रोफेसरों की भर्ती की प्रक्रिया पूरी की गई, लेकिन रिजल्ट आने से पहले ही 26 उम्मीदवारों की संभावित चयनित सूची पूरे विश्वविद्यालय में घूमने लगी और इस सूची में किससे कितना लाख रुपये संभावित चयनित उम्मीदवारों से लिया गया है यह भी दर्शाया गया है, इससे लगता है कि एक बार फिर महात्मा गॉंधी उद्यानिकी विश्वविद्यालय के तर्ज पर यहाँ भी सहायक प्रोफेसरों के भर्ती में घोटाला हो रहा है। महात्मा गॉंधी उद्यानिकी विश्वविद्यालय में 31 सहायक प्रोफेसरों के भर्ती में रिजल्ट निकलने के बाद मामला प्रकाश में आया था और जांच के बाद तत्कालीन कुलपति डा कुरील को राज्यपाल ने बर्खास्त कर दिया, लेकिन अब इंदिरा गाँधी कृषि विश्वविद्यालय में रिजल्ट के पहले एक ऐसी ही संभावित चयनित सहायक प्रोफेसरों की सूची पूरे विश्वविद्यालय में घूम रही है जिसमें 26 संभावित उम्मीदवारों के चयन में कितने लाख रूपये लिया गया है, यह भी स्पष्ट रूप से लिखा गया है। इस मामले की जानकारी इंदिरा गाँधी कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति को वाटशाप से मैसेज कर अवगत कराया जा चुका है किंतु कुलपति डा गिरीश चंदेल द्वारा जवाब नहीं दिया गया, साथ ही फोन से भी संपर्क साधने की कोशिश की गई पर वहा भी सफलता हाथ नहीं लगा। खैर महात्मा गॉंधी उद्यानिकी विश्वविद्यालय सहायक प्रोफेसरों की भर्ती जैसा मामला अब इंदिरा गाँधी कृषि विश्वविद्यालय में भी चल रहा है, क्या कुलपति डा गिरीश चंदेल और उनके दलाल यह सब कर रहे हैं या कोई ऐसा है जो कुलपति को बदनाम करने की कोशिश कर रहा है। फिलहाल यह जांच का बिषय है।
सूत्रों के हवाले से खबर है कि पैसे वाले अयोग्य उम्मीदवार सहायक प्रोफेसर बन कर विश्वविद्यालय को डूबाने की कोशिश कर रहे हैं और एक गरीब उम्मीदवार जिसके पास लाखों रुपए न होने के बावजूद योग्यता रखता है उसको लाखों रुपए न देने के कारण अयोग्य मान लिया गया।
सूत्र यह भी बताते है कि महात्मा गॉंधी उद्यानिकी विश्वविद्यालय में 31 सहायक प्रोफेसर की भर्ती हुईं और रिजल्ट आने के बाद आनन फानन में चयनित उम्मीदवारों को ज्वाइन करा दिया गया, बाद में उसकी जांच होने के पर जब चयनित उम्मीदवारों ने देखा कि मामला राज्यपाल के जानकारी में आ गया है तो हाईकोर्ट से रिजल्ट के अगेंस्ट स्टे लाए और वह नौकरी कर रहे हैं क्योंकि वहाँ भी चयनित सहायक प्रोफेसरों ने लाखों रुपए देकर नौकरी प्राप्त किया था। वही अब इंदिरा गाँधी कृषि विश्वविद्यालय में भी देखने को मिल रहा है, यहाँ भी रिजल्ट आने के पहले ही सहायक प्रोफेसरों की संभावित चयनित सूची में कौन कितना दिया है उसका पूर्ण रूप से लेखा जोखा लाखों में देखा जा सकता है। क्या यह संभावित चयनित सूची विश्वविद्यालय के 18 सितम्बर 2024 के बोर्ड बैठक में जो सूची के रिजल्ट निकाले जाएगें उसमें एक रूपता है। अगर एक रूपता होगी तो निश्चित रूप से इंदिरा गाँधी कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डा गिरीश चंदेल और उनके दलाल पूरी तरह से लाखों रुपए संभावित सूची के अनुसार वसूली किये है और पूरे भर्ती घोटालों को जन्म दिये है। जबकि 11 सितम्बर 24 को इंटरव्यू खत्म होने के बाद से ही इंदिरा गाँधी कृषि विश्वविद्यालय में ऐसी चर्चा शुरू हो गई थी कि कुछ विश्वविद्यालय के कुलपति डा गिरीश चंदेल के दलाल उम्मीदवारों से सम्पर्क करना शुरू कर दिये है और बोलियाँ लगनी शुरू हो गई थी । इस 26 उम्मीदवारों की संभावित चयनित सूची से ऐसा लगता है कि डा गिरीश चंदेल और उनके दलाल लाखों रुपए उम्मीदवारों से वसूल करने में कामयाब हो गये।
अभी 32 में 6 संभावित उम्मीदवारों की चयनित सूची सहायक प्रोफेसरों का प्राप्त नहीं हुआ है, लेकिन विश्वविद्यालय के 18 सितम्बर को हुए बोर्ड बैठक से पहले वह 6 संभावित चयनित उम्मीदवारों की भी सूची प्राप्त हो गई होगी और कुलपति डा गिरीश चंदेल बोर्ड की बैठक में इस चयनित सूची को ही असली जामा पहनाने में कामयाब हुए होगे या बोर्ड के सदस्य इस पर किसी तरह की आपत्ति उठाएगे।
जानकारी मिली है कि इस घोटाले की जानकारी बैठक से पहले बोर्ड के सदस्यों, राज्यपाल, मुख्यमंत्री तथा कृषि मंत्री को दी गई है ।
विदित हो कि इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय वैसे भी भर्ती और परमोशन दिए जाने को लेकर हमेशा से ही सुर्खियों में रहा है। सूत्रों की माने तो उक्त विश्वविद्यालय में लगभग 800 मिलियन के हुए भ्रष्ट्राचार मामले को लेकर एक अधिकारी सालों से लड़ाई लड़ रहा है लेकिन उसे इंसाफ तो दूर बल्कि इसका दंश झेलना पड़ा है। आप को जानकर हैरानगी होगी कि इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के 800 मिलियन मामले में 100 से ज्यादा अधिकारी को फायदा दिया गया है जिसमे कुछ तो सेवानिवृत्त होकर पेंशन का लाभ ले रहे है तो कुछ अधिकारी प्रदेश के अन्य जिलों सहित मुख्यालय में रिटायरमेंट के करीब है। इस 800 मिलियन मामले की छानबीन में हमारा पत्रकार साथी जुटा ही था कि वायरल लिस्ट ने खबर प्रकाशन को लेकर मजबूर कर दिया। फिलहाल इस वायरल लिस्ट पर भी हमारा साथी पत्रकार नजर बनाए हुऐ हैं और यह देखेगी की लिस्ट में से कितने नाम शामिल किए गए या फिर वायरल लिस्ट पूरी की पूरी वही है।
बता दें कि फिलहाल खबर सूत्र के हवाले और वायरल लिस्ट के आधार पर है, खबर की मुख्य स्पष्टता भर्ती के बाद के प्रकाशन में जारी किया जाएगा तब तक आपको इंतजार करना होगा।
मुख्य बिंदु –
1 इन्क्यूबेशन सेंटर के लगभग 11 से 13 करोड़ के पास टेण्डर को कैन्सल करके १८ करोड़ में दुबारा पास क्यों किया गया?
2 पिछले नियुक्ति में बिना स्टडी लीव के एक आर.ए.ई.ओ. को पी.एच.डी. की उपाधि के नम्बर देकर सहा० प्राध्यापक बनाकर कृषि महाविद्यालय कठघोरा में क्यों पदस्थ किया गया ?
3 इन्क्यूबेशन सेंटर को लगभग 11 से 13 करोड़ के पास टेण्डर को कैन्सल करके १८ करोड़ में जिस ठेकेदार को दिया गया है उसी के भाई को महिला उत्पीड़न के आरोप में फॅसे होने के बाद भी सहा० प्राध्यापक बनाकर कठघोरा में ही पदस्थ क्यों किया गया ?
कौन फसा था महिला उत्पीडन के मामले में – दुष्यंत कौशिक, सहा० प्राध्यापक (कीट विग्यान), मामला इनके ऊपर महिला उत्पीड़न का केस शिल्पा कौशिक, वि.व.वि. है कृ.वि.कें. बिलासपुर ।
किसको दिया गया PHD का नंबर ? –
रोशन भारद्वाज, सहा० प्राध्या० एग़्री. स्टेटटिक्स, मामला बिना स्टडी लीव के आर.ए.ई.ओ. रहते पी.एच.डी. किये और पी.एच.डी. के नम्बर से सलेक्शन.. दोनों ही कठघोरा में पदस्थ हैं ।
नोट – 66 वाली लिस्ट क्या माजरा है अगली पूरी खबर तक आप करे फिलहाल इंतजार ?