40 से 69 साल हजारों लोग शामिल हुए स्टडी
नॉटिंघम यूनिवर्सिटी ने डेथ प्रिडिक्शन को लेकर ब्रिटिश लोगों पर ये स्टडी की। इसके तहत 40 से 69 साल की उम्र वाले लगभग हजार लोगों को लिया गया, जो लाइफ-स्टाइल बीमारियों जैसे डायबिटीज या ब्लड प्रेशर जैसी समस्याओं के साथ अस्पताल आए।
कैसे होगा प्रीमैच्योर डेथ टेस्ट
प्रीमैच्योर डेथ की सारी जानकारी पीएलओएस वन साइंस जर्नल में दी गई। डेथ टेस्ट के बारे में आम तरीके से समझें तो ये एक तरह का ब्लड टेस्ट होगा। एक्सपर्ट इसमें कुछ अलग बायोमार्कर देखकर तय कर सकेंगे कि मरीज की मौत अगले दो से पांच सालों के भीतर होगी या नहीं।
प्रिडिक्शन टेस्ट में बड़ा रोल आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का होगा। ये स्टडी फिलहाल अपनी शुरुआती स्टेज में है, इसलिए पक्के तौर पर कुछ कहा नहीं जा सकता कि इसके दावे कितने सही हैं।
इकोकार्डियोग्राम वीडियो देख करेगा भविष्यवाणी
दरअसल साल 2021 की शुरुआत में भी मौत की भविष्यवाणी की बात हुई थी। पेंसिल्वेनिया के हेल्थ केयर सिस्टम गीजिंगर में दशकभर से ज्यादा समय से इसपर स्टडी की जा रही थी, जिसके नतीजे पिछले साल ही बाहर आए। वैज्ञानिकों ने क्लेम किया कि इकोकार्डियोग्राम वीडियो देखकर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस न सिर्फ मौत का पता लगा सकेगा, बल्कि ये भी पक्के तौर पर सामने आ जाएगा कि मरीज की मौत सालभर के भीतर होगी।
स्टडी के दौरान लगभग सवा 8 लाख से ज्यादा इकोकार्डियोग्राम देखे गए, और नब्बे फीसदी मामलों में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की भविष्यवाणी सही पाई गई। पेंसिल्वेनिया का ये अध्ययन नेचर बायोमेडिकल इंजीनियरिंग नाम की साइंस जर्नल में प्रकाशित हुआ।
आंखों में भी दिखेगी मौत
इसी साल की शुरुआत में एक और स्टडी आई थी, जिसमें दावा था कि आंखें देखकर मौत का समय बताया जा सकेगा। दिल की बीमारी से जूझ रहे मरीजों पर हुई स्टडी में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस रेटिना को स्कैन करता और मौत का अनुमानित समय बताया। इस तरीके से लगभग 18 सौ लोगों की मौत का सटीक अनुमान लगाया जा सका। ये वे लोग थे, जिनकी रेटिना समय से पहले बूढ़ी हो चुकी थी।
आपको बता दें कि आंखों को देखकर इंसान की बायोलॉजिकल उम्र का पता पहले से ही लगता रहा है। लेकिन, अगर आंखों में अर्ली-एजिंग आ रही है, तो इसका मतलब कि शख्स की गलत लाइफ-स्टाइल उसे समय से पहले बूढ़ा करके मौत की तरफ ले जा रही है।