रायपुर। Raipur AIIMS: अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में फ्लूरल टीबी को लेकर किए गए शोध को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सराहना मिली है। मलेशिया में आयोजित इंटरनेशनल कांग्रेस ऑफ इंफेक्शन डिजीज-2022 में इसे बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन डेवलपमेंट अवॉर्ड प्रदान किया गया है। इस शोध की मदद से भारत में दूसरी बार सबसे अधिक पाए जाने वाले फ्लूरल टीबी की जांच में तेजी संभव हो सकेगी।
प्वाइंट ऑफ केयर की मदद से मरीजों की पहचानमाइक्रोबायोलॉजी विभाग के अंतर्गत पीजी के छात्र डॉ. अतीश मोहपात्रा ने एम्स के टीबी लैब में 170 टीबी रोगियों पर अतिरिक्त प्राध्यापक डॉ. उज्ज्वला गायकवाड़ के निर्देशन में शोध किया। इसमें पाया गया कि लिपोराबाइनोमनन (एलएएम) डिटेक्शन की मदद से फ्लूरल टीबी को और अधिक सटीकता और तीव्रता के साथ चिन्हित किया जा सकता है। यह अन्य जांच के मुकाबले अधिक कारगर पाया गया। यह प्रयोग रोगियों पर काफी असरदायक रहा और इसकी मदद से प्वाइंट ऑफ केयर पर ही फ्लूरल टीबी के रोगियों की पहचान संभव हो सकेगी।
डॉ. मोहपात्रा के इस शोध को आईसीआईडी-2022 के 40 एब्स्ट्रेक्ट प्रस्तुतियों में ‘डायग्नोस्टिक एक्यूरेसी ऑफ एलएएम डिटेक्शन इन फ्लूरल टीबी’ शीर्षक के इस शोध को भी चुना गया। साथ ही उन्हें बिल और मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन का प्रतिष्ठित अवॉर्ड भी प्रदान किया गया।
प्रो. (डॉ.) नितिन एम. नागरकर ने दी बधाईविषय विशेषज्ञों और शोधार्थियों ने भी उनके शोध की काफी सराहना की। निदेशक प्रो. (डॉ.) नितिन एम. नागरकर ने डॉ. मोहपात्रा और डॉ. गायकवाड़ को शोध के लिए बधाई देते हुए अन्य विभागों से भी रोगियों को त्वरित राहत प्रदान करने वाले शोध करने के लिए प्रोत्साहित किया है।