रायपुर । छत्तीसगढ़ प्रदेश भाजपा के मुख्य प्रवक्ता पूर्व मंत्री व विधायक अजय चंद्राकर ने पेशा कानून की विसंगतियों पर गंभीर सवाल उठाते हुए कहा है कि इसमें जो अधिकार अनुसूचित जनजाति वर्ग के लोगों को/आदिवासी भाइयों बहनों को देने की बात कही जा रही है, उसमें एक महत्वपूर्ण कड़ी को छोड़ दिया गया है, जिसको लेकर छत्तीसगढ़ के बस्तर संभाग का सुकमा जिला जल रहा है। आदिवासी तेंदूपत्ता संग्राहक अपने करोड़ों रुपए के भुगतान के लिए पिछले 4 माह से दर-दर भटक रहे हैं और अब उन्हें सिर्फ सुकमा पुलिस ही आशा की किरण नजर आ रही है कि वह उन्हें न्याय दिला सकती है।
भाजपा मुख्य प्रवक्ता अजय चंद्राकर ने कहा कि 8 अगस्त को प्रकाशित राजपत्र में पेशा कानून के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई है। जिस का गुणगान सुनाते हुए 9 अगस्त को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने विश्व आदिवासी दिवस पर आदिवासियों को संबोधित करते कहा कि हमने बहुत बड़ा अधिकार दे दिया है। लेकिन पेशा कानून में अराष्ट्रीयकृत वनोपज पर ही निर्णय लेने का अधिकार ग्राम सभा को होगा। प्रदेश में एकमात्र राष्ट्रीय कृत वन उपज तेंदूपत्ता संग्रहण छत्तीसगढ़ सरकार के नियंत्रण में ही रहेगा।