उज्जैन. वैदिक कालगणना के अनुसार सूर्य वर्ष 365 दिन और करीब 6 घंटे का होता है, वहीं चंद्र वर्ष 354 दिनों का माना जाता है। वर्तमान में जो साल और सप्ताह के दिनों का मान है, उसका प्रचलन विक्रम संवत से शुरू हुआ। गणना के आधार पर हिन्दू पंचांग की तीन धाराएँ हैं- पहली चंद्र आधारित, दूसरी नक्षत्र आधारित और तीसरी सूर्य आधारित कैलेंडर पद्धति। भारत में अलग-अलग हिस्सों में विभिन्न पंचांग प्रचलित हैं। आगे जानिए आज के पंचांग से जुड़ी खास बातें…
10 अगस्त का पंचांग (Aaj Ka Panchang 10 August 2022)
10 अगस्त 2022, दिन बुधवार को श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि दोपहर 02.15 तक रहेगी। इसके बाद चतुर्दशी तिथि आरंभ हो जाएगी। इस दिन सूर्योदय पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र में होगा, जो सुबह 09.39 तक रहेगा, इसके बाद उत्तराषाढ़ा नक्षत्र रात अंत तक रहेगा। बुधवार को पहले पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र होने से श्रीवत्स नाम का शुभ योग और इसके बाद उत्तराषाढ़ा नक्षत्र होने से वज्र नाम का अशुभ योग इस दिन बन रहा है। इनके अलावा इस दिन प्रीति और आयुष्मान नाम के 2 अन्य योग भी बन रहे हैं। इस दिन राहुकाल दोपहर 12:32 से 02:09 तक रहेगा। इस दौरान कोई भी शुभ काम न करें।
ग्रहों की स्थिति कुछ इस प्रकार रहेगी…
मंगलवार को चंद्रमा राशि बदलकर धनु से मकर में और मंगल मेष से वृषभ में प्रवेश करेगा। इस दिन शुक्र कर्क राशि में, बुध सिंह राशि में, सूर्य कर्क राशि में, शनि मकर राशि (वक्री), मंगल-राहु मेष राशि में, गुरु मीन राशि में (वक्री) और केतु तुला राशि में रहेंगे। बुधवार को उत्तर दिशा की यात्रा करने से बचना चाहिए। यदि निकलना पड़े तो तिल या धनिया खाकर घर से बाहर निकलें।
10 अगस्त के पंचांग से जुड़ी अन्य खास बातें
विक्रम संवत- 2079
मास पूर्णिमांत- श्रावण
पक्ष- शुक्ल
दिन- मंगलवार
ऋतु- वर्षा
नक्षत्र- पूर्वाषाढ़ा और उत्तराषाढ़ा
करण- तैतिल और गर
सूर्योदय – 6:05 AM
सूर्यास्त – 6:59 PM
चन्द्रोदय – Aug 10 5:54 PM
चन्द्रास्त – Aug 11 4:49 AM
अभिजीत मुहूर्त – इस दिन अभिजीत मुहूर्त नहीं है।
10 अगस्त का अशुभ समय (इस दौरान कोई भी शुभ काम न करें)
यम गण्ड – 7:41 AM – 9:18 AM
कुलिक – 10:55 AM – 12:32 PM
दुर्मुहूर्त – 12:06 PM – 12:58 PM
वर्ज्यम् – 04:44 PM – 06:09 PM
कुंडली का पहला भाव
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, जन्म कुंडली में 12 भाव होते हैं। इनमें से जो पहला भाव होता है, उसे लग्न स्थान भी कहते हैं। कुंडली ये भाव आत्म विश्वास, यश-अपयश, सुख-दुख का कारक होता है। यह भाव हमारी शारीरिक बनावट, सामान्य व्यक्तित्व लक्षण, स्वास्थ्य और हमारे जीवन की बचपन की अवधि को भी प्रभावित करता है। प्रथम भाव के स्वामी को लग्नेश का कहा जाता है। लग्न भाव का स्वामी अगर क्रूर ग्रह भी हो तो, वह अच्छा फल देता है।