प्रांतीय वॉच

वन विभाग में गुणवत्ता की खुली पोल –  बारिश में धसने लगा गेबियन 

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मामला मनेन्द्रगढ़ अंतर्गत  बिहारपुर वन परिक्षेत्र का 

(दिलीप पाण्डेय)

कोरिया वॉच ब्यूरो – कोरिया जिला  अंतर्गत वन विभाग  अपने निर्माण कार्यों  की गुडवत्ता  को लेकर इन दिनों जिले में सुर्खियों का विषय बना हुआ है क्यो कि  यहा पदस्थ प्रभारी रेंजर व इंजीनियर के देखरेख में हुए निर्माण कार्य जिले में हुईं हल्की बारिश में ही अपनी दुर्दशा पर आशु बहा रहे जब कि तेज बारिश होने पर इन निर्माण कार्यो की क्या हालात होंगे अंदाजा लगाया जा सकता हैं ।

मिली जानकारी अनुसार  मनेंद्रगढ़ वन मंडल अंतर्गत आने वाला बिहारपुर परिक्षेत्र के सोनहत मार्ग पर पढ़ने वाले  बनिया नदी में समाहित होने वाले छोटे छोटे नालों पर लाखो की लागत से बनाये गए गेबियन पहली बरसात में ही डैमेज होने लगी है। जो अमानक व गुणवत्ताहीन निर्माण कार्य की ओर इशारा करता है। निर्माण एजेंसी रुपए बचाने की लालसा में जंगल से ही अमानक सामग्री का उपयोग कर लेती है। जिसका परिणाम समय से पूर्व ही कच्चे निर्माण क्षतिग्रस्त होने लगते है। और उपयोगिताहीन साबित हो जाते है।आपको बता दे कि गेबियन का निर्माण और उपयोगिता होती है कि मिट्टी कटाव पर अंकुश लगे साँथ ही पानी की तेज धार को कम किया जाए गेबियन में एकत्र जल से आस पास के क्षेत्रों में भू जल बढ़ने की संभावनाएं है। लेकिन यहाँ जैसे तैसे निर्माण कार्य कर दूध में से मलाई  छानने जैसा कार्य किया जा रहा है। एजेंसी के जिम्मेदार शासन को चुना लगा रहे है । डैमेज सुधार के नाम पर दोबारा शासन से राशि की मांग की जाती है। इस तरह से शासन की योजना को ध्वस्त कर भू जल स्तर को बढ़ावा देने की योजना को जिम्मेदार नदी को निर्माण कार्य गेबियन को बहा ले जाने का खुला निमंत्रण दे रखा है।

गेबियन संरचना क्या है –

यह संरचना लूज बोल्डर चेक से थोड़ी भिन्न है। इसमें बोल्डर को संग्रहित कर तार की जाली में बाँधकर रखते हैं, जिससे बोल्डर पानी के साथ नहीं बहते, तथा इनके ऊपरी भाग में जलसंग्रह अधिक होता है। इस संरचना का लक्ष्य भी पानी के वेग को नियंत्रित कर मिट्टी के बहाव को रोकना तथा आसपास के भूजल स्तर को बढ़ाना है। वर्षा ऋतु के बाद कुछ महीनों तक निस्तार कार्य हेतु काम में आता है। यह संरचना ऐसे स्थान पर बनाना चाहिए, जहाँ नाले के किनारे मजबूत तथा ऊँचाई पर्याप्त हो ताकि जल संग्रहण अधिक मात्रा में हो सके। स्थल चयन के बाद सर्वप्रथम ट्रेंच नाले के पूर्ण चौड़ाई में 1 से 2 मीटर चौड़ी तथा गहराई में मजबूत चट्टान आने तक एक खंती का निर्माण करते हैं। बाद में तार की जाली बिछाकर उस पर मोटे बोल्डर जमाते हैं। खुदाई से प्राप्त मिट्टी को सीमेंट की खाली बोरियों में भरकर संरचना के ऊपरी भाग में जमा देते हैं। गेबियन संरचना के किसी भी एक ओर एक नाली खोदना चाहिए ताकि अतिरिक्त जल को निष्कासित किया जा सके। किन्तु अधिकारी इंजीनियर के नही पहुँचने से अपने हिसाब से कार्य करा रहे जिसका ही परिणाम हैं की हल्की बारिश में ही निर्माण कार्य धरासायी हो जा रहे वही जिम्मेदार प्रभारी अधिकारी  पूर्व के अधिकारी के द्वारा कार्य कराये जाने की बात कहकर अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ रहे ।

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