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श्रावण मास में शनि पूजा से दूर करें कष्ट, आज ही आजमाएं यह उपाय

रायपुरः शनिदेव परम शिव भक्त हैं और शिव के आदेश के मुताबिक ही शनि जगत के हर प्राणी को कर्मों के आधार पर दंड देते हैं। इसीलिए शनि या राहु आदि ग्रह पीड़ा शांति के लिए शिव की पूजा खासतौर पर शनिवार, सोमवार को बहुत ही कारगर होती है। भगवान शिवजी ने उन्हें वरदान देते हुए कहा कि नवग्रहों में तुम्हारा स्थान सर्वश्रेष्ठ रहेगा। तुम पृथ्वीलोक के न्यायाधीश और दंडाधिकारी रहोगे। साधारण मानव तो क्या- देवता, असुर, सिद्ध, विद्याधर और नाग भी तुम्हारे नाम से भयभीत रहेंगे।

भगवान शिव की कृपा हो जाए, उस पर शनि सदा अपना आशीर्वाद ही बरसाते हैं। जो व्यक्ति भगवान शिव को खुश कर लेता है उसकी कुंडली में शनि दशा से संबंधित सभी दोषों का नाश हो जाता है। माना जाता है कि शनि देव भोले बाबा के आदेशानुसार प्राणियों को उनके अच्छे-बुरे कर्मों का दंड देते हैं। शनिवार को शिवलिंग और शनिदेव पर कुछ खास सामान अर्पित करने से उपासक की सभी कामनाओं की पूर्ति होती है।

• शनि पूजा हेतु स्नान करने के पश्चात पीपल पेड़ या शमी के पेड़ के नीचे गोबर से लीप ले और बेदी बनाकर कलश और शनिदेव की मूर्ति स्थापित करें।
• शनिदेव की प्रतिमा को पंचामृत से स्नान कराएं और प्रतिमा को विष्णुकांता के पुष्प, धुप, दीप, प्रसाद चढ़ाएं।
• शनिदेव की पूजा करने के बाद पीपल के पेड़ को सूत का धागा लपेटते हुए सात बार परिक्रमा करें और साथ ही पेड़ की भी पूजा करें।
• इसके बाद हाथ में चावल और फूल लेकर भगवान शनिदेव की व्रत कथा सुने और पूजा पूरी होने के बाद प्रसाद सभी को बांटे।
• श्रावण महीने के शनिवार को उड़द दाल की खिचड़ी और तिल के लड्डू शनिदेव को भोग लगाएं।
• इस दिन काले कुत्ते और कौए को तेल की चुपड़ी रोटी खिलाना अति लाभकारी होता है।

डिस्क्लेमर: इस लेख में दी गई जानकारी प्रचलित मान्यताओं, धर्मग्रंथों और ज्योतिष शास्त्र के आधार पर ज्योतिषाचार्य अंजु सिंह परिहार का निजी आकलन है। आप उनसे मोबाइल नंबर 9285303900 पर संपर्क कर सकते हैं। सलाह पर अमल करने से पहले उनकी राय जरूर लें।

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