रायपुर। हाईवे स्थित गांव खैरझिटी, कौंवाझर,मालीडीह के कृषि भूमि,वन भूमि,गरीबों का काबिल कास्त भूमि, आदिवासी भूमि में गैर कानूनी ढंग से करणी कृपा स्टील एवं पावर प्लांट लगाने के विरोध में पिछले 25 फरवरी 2022 से किसानों द्वारा छत्तीसगढ़ संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर तले अखण्ड धरना सत्याग्रह चल रहा है।
सोमवार सत्याग्रह के 95 वें लगभग 105 किसान, जवान एवं महिलाओं ने भाग लिया। धरना सत्याग्रह का नेतृत्व तारेंद्र यादव उप सरपंच, नंदलाल सिन्हा, नाथूराम सिन्हा, संतोष ध्रुव, उदयराम चंद्राकर, अलखराम साहू, चैनुराम साहू ने किया।
सत्याग्रह सभा को चैनुराम साहू, अशोक कश्यप, उदयराम चंद्राकर, रूपसिंग निषाद, अलखराम साहू, बिसरू सिन्हा राधबाई सिन्हा, शर्मिला टंडन आदिने संबोधित किया। सत्याग्रह सभा को संबोधित करते किसान नेता चैनुराम साहू ने कहा कि जब तक खैरझिटी, कौंवाझर, मालिडीह, कुकराडीह के आदिवासी जमीन, काबिल कास्त भूमि चारागाह भूमि, वन भूमि एवं दो फसली कृषि भूमि में प्रस्तावित करणी कृपा पावर प्लांट यहाँ से नहीं हट जाता तब तक हमारा गांधीवादी सत्याग्रह दिल्ली के किसान आंदोलन के तर्ज पर चलता रहेगा।
इस प्रकार से हमारे सत्याग्रही भाई- बहनों ने कड़ी धूप और लूट में बढ़ चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं, उसी प्रकार से बरसात के मौसम में भी हमारा सत्याग्रह चलता रहेगा। उदयराम चंद्राकर ने कहा कि महासमुंद जिला के जिला प्रशासन एवं क्षेत्रीय विधायक द्वारा सारे कानून कायदा को ताक में रखकर भ्र्ष्ट उद्योगपति के व्यक्तिगत नौकर की तरह सेवा दे रहे हैं। उसका काला चिट्ठा मुख्यमंत्री भूपेश बघेल तक पहुचायेंगे। अखलराम साहू ने कहा कि जिस प्रकार से मुख्यमंत्री बघेल सरकार गोबर खाद की वाह वाही लूटी और अंत में किसानों के बीच मिट्टी मिलाकर महंगे दाम के कारण थू-थू होने लगा है, उसी प्रकार करणी कृपा पावर प्लांट को गैर कानूनी ढंग से संरक्षण देने के कारण महासमुंद जिला भर सरकार की ग्राफ नीचे गिरने लगी है।
राज्य आंदोलनकारी किसान मोर्चा के कार्यालय सचिव अशोक कश्यप ने कहा कि आग उगलते भीषण गर्मी में भी सत्याग्रह में सैकड़ों की संख्या में प्रतिदिन सत्याग्रहियों की भागीदारी इस बात का प्रमाण है कि प्रस्तावित करणी कृपा स्टील एवं पावर प्लांट के विरोध में किसानों और महिलाओं में कितना आक्रोश है। गांधीवादी सत्याग्रह से जीत किसानों की ही होगी।श्रीमती राधबाई सिन्हा ने कहा कि किसानों पर जिला प्रशासन की दमनकारी नीति के खिलाफ नारी शक्ति भी संगठित होकर संघर्ष करने लगीं है। जीत किसानों की ही होकर रहेगी।