रायपुर। होलाष्टक और मीन मलमास के चलते पिछले सवा महीने से विवाह संस्कार पर रोक लगी हुई थी। मीन मलमास समाप्त होने के बाद फिर से विवाह की शहनाई बजने लगी है। अब चातुर्मास शुरू होने तक 51 शुभ मुहूर्तों में फेरे लिए जा सकेंगे। चातुर्मास में चार माह तक विवाह नहीं होंगे। देवउठनी एकादशी के बाद से 15 दिसंबर तक 17 और मुहूर्त है। इस तरह साल 2022 के शेष बचे महीनों में विवाह के लिए कुल 63 मुहूर्त है।
सूर्य ने किया मेष राशि में प्रवेश, शुरू हुए शुभ कार्य
ज्योतिषाचार्य अभिऋषि शर्मा के अनुसार 10 मार्च से 18 मार्च तक होलाष्टक के कारण शुभ संस्कारों पर रोक लगी थी। इसी बीच 14 मार्च को मीन मलमास शुरू हुआ जो 14 अप्रैल तक रहा। पूरे मीन मलमास के दौरान शुभ कार्य नहीं करने की मान्यता के चलते विवाह संस्कार नहीं हुआ। अब मीन मलमास खत्म हो चुका है और सूर्य जो है, वह मीन राशि से निकलकर मेष राशि में प्रवेश कर चुका है। इसे शुभ समय माना जाता है इसलिए पुन: विवाह जैसे शुभ संस्कार शुरू हो चुके हैं।
देवशयनी से देवउठनी तक मुहूर्त नहीं
मीन मलमास खत्म होने के बाद शुरू हुआ विवाह मुहूर्त आठ जुलाई तक रहेगा। 10 जुलाई को देवशयनी एकादशी है। इस दिन से चातुर्मास और भगवान विष्णु का शयनकाल प्रारंभ होगा जो तीन नवंबर तक चलेगा। चार नवंबर को देवउठनी एकादशी पर भगवान के जागने की परंपरा निभाई जाएगी। इसी दिन तुलसी-शालिग्राम का विवाह संपन्न होगा। हालांकि ग्रहों की अशुभ स्थिति के चलते विवाह मुहूर्त 26 नवंबर से शुरू होंगे।
महामुहूर्त अक्षय तृतीया तीन मई को
बिना पंचांग देखे शुभ कार्य किया जाने वाला महामुहूर्त अक्षय तृतीया को माना जाता है। इस बार अक्षय तृतीया तीन मई को है। सबसे ज्यादा विवाह इसी मुहूर्त में संपन्न होंगे। छत्तीसगढ़ में अक्षय तृतीया को अक्ती कहा जाता है। इस दिन घर-घर में गुड्डा-गुड़िया का ब्याह रचाने की परंपरा भी निभाई जाएगी।
माह शुभ मुहूर्त
अप्रैल 19, 20, 21, 22, 23, 27 और 28
मई 2, 3, 4,, 9, 10, 11, 12, 13, 14, 15, 16, 17, 18, 19, 20, 24, 25, 26 और 31
जून 1, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11, 1, 13, 14, 15, 16, 17, 21, 22, 23 और 26
जुलाई 2, 3, 5, 6 और 8
नवंबर 26, 27 और 28,
दिसंबर 2, 3, 4, 7, 8, 9, 13, 14 और 15