23 साल के एक युवक ने पिछले हफ़्ते दावा किया था कि वह राजस्थान से 50 घंटे की दौड़ लगाकर राजधानी दिल्ली पहुँचा था ताकि उस विरोध-प्रदर्शन में हिस्सा ले सके, जिसमें सरकार से सेना में भर्ती की मांग को लेकर आयोजित किया गया था.
सुरेश भिचार ने 350 किलोमीटर की दौड़ में भारत का राष्ट्रध्वज भी साथ में रखा था. सुरेश कहते हैं कि वह सेना में जाने के लिए उत्साहित हैं लेकिन पिछले दो सालों से कोई भर्तियां नहीं निकली हैं. सुरेश ने कहा कि सेना में भर्ती की तैयारी करने वाले युवा भर्ती की तयशुदा उम्र पार कर चुके हैं लेकिन कोई भर्तियां नहीं निकलीं.
भारत उन देशों में से एक है, जहाँ सेना में बड़ी संख्या में लोगों को रोज़गार मिलता है. भारतीय सेना में 14 लाख लोगों को नौकरी मिली हुई है.
भारत के नौजवानों में सेना में जाने की तमन्ना बहुत लंबे समय से प्रबल रही है. भारतीय सेना से हर साल 60 हज़ार कर्मी रिटायर होते हैं. सेना इन ख़ाली पदों पर खुली भर्तियों के लिए 100 से ज़्यादा रैलियाँ आयोजित करती रही थी.
अधिकारियों का कहना है कि कोविड महामारी के कारण भर्तियां निलंबित थीं. मगर विश्लेषकों का मानना है कि यह पूरी सच्चाई नहीं है.