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अल्ट्राटेक बैकुंठ मे लगा एक दिवसीय निशुल्क नाक कान गला जांच शिविर

 

(वीरेन्द्र साहू)तिल्दा नेवरा :- अल्ट्राटेक बैकुंठ सीमेंट वर्क्स हास्पिटल मे । प्रबंधन एवं अहलूवालिया हास्पिटल के संयुक्त तत्वावधान में। 26 फरवरी शनिवार को एक दिवसीय निशुल्क नाक कान गला जांच शिविर का आयोजन किया गया। जिसमे विशेषज्ञ के रूप मे नानावती हास्पिटल मुम्बई के अनुभवी डां. गौरव अहलूवालिया रहे। इस निशुल्क नाक कान गला जांच शिविर में लग भग 110 व्यक्तियों की जाच कर आवश्यक परामर्श दिया गया। जीसमे हर उम्र के लोग शामिल हैं।
( कान नाक गले के बारे में सामान्य जानकारी वर्तमान समय में बढती समस्या व अपने अनुभव के आधार पर डां. गौरव अहलूवालिया ने बताया कि अधिकांश लोगो को कान में खुजली होती है। तो वे किसी भी चीजो से खुजलाने लगते हैं जो गलत है। कभी खान को बाहर से ही उंगलियों के सहारे से दबाकर मसलना चाहीये। अन्यथा कान के लिए अलग से आता है। उससे ही खुजलाने का प्रयास करे। ज्यादा अच्छा होगा न ही खुजलाये। बल्कि कांन मे आयल डालकर लुब्रीकेट करे या फिर डाक्टर को दिखाये। कान के ही अगले महत्वपूर्ण समस्या है, सुने व शांत जगहो मे शीटी जैसी आवाज़ आना। इतना ही चक्कर लगाने का कारण भी कान से संबंधित समस्या होती है। इनका कारण ब्लडप्रेशर व शुगर लेबल का बढना भी होता है।
नाक मे लोगो को अधिकतर खुजली, नाक बहना, छीके आना आदि की समस्या आती है। जिसका मुख्य कारण नाक के अंदर मस्से होना, धूल कण, गंद,खटाई, ठंडी खाद्य पदार्थों आदि से एलर्जी के कारण भी होसकती है। जिसके लिये विशेषज्ञ से परामर्श लेने चाहिए।
गले के बारे में डां गौरव अहलूवालिया ने कहा कि गले की समस्या एलर्जी से खुजली होना। गले मे दर्द, सुजन आदि थायरॉइड का होना या अन्य कारण भी होसकता है। जिसे विशेषज्ञ से परामर्श व जांच करा कर जाना जा सकता है। इन नाक कान गला तीनो से संबंधित जो भी समस्या आती है। तो प्रारंभ से ही परामर्श लिया जाय तो कम समय में ही पुरा इलाज संभव है। अल्ट्राटेक बैकुंठ सीमेंट वर्क्स हास्पिटल के डां संजीव कुमार ने शिविर आयोजन के बारे मे बताया कि हम समय समय पर सभी प्रकार के स्वास्थ्य जांच शिविर लगाते हैं। जिसका प्रचार-प्रसार हफ्ते भर पहले से ही करते रहते हैं। पर विडंबना है कि लोग अपने स्वास्थ्य के बारे में जागरूक न होकर इनका लाभ नही उठाते। निशुल्क जांच शिविर में अल्ट्राटेक बैकुंठ सीमेंट वर्क्स तथा अहलूवालिया हास्पिटल का योगदान रहा। विशेष सहयोग डां संजीव कुमार, डां. गौरी अधौल्या, डां.बी. विश्वनाथ, के. के. चंद्रवंशी, संतोष साहू, मोहन सांन्डील्य, सतपाल कोशले ,गोपाल मिश्रा, राकेश निर्मलकर, बुद्धन बसंत, प्रमोद नायक का रहा।

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