(वीरेन्द्र साहू)तिल्दा-नेवरा:- सभी मनुष्य इस संसार मे मोह माया में फंसकर चक्की में आटे की तरह पीस रहे हैं, जहां न तो भक्ति मिल रही है न ही माया। संत कबीर के संदेश आज भी देश दुनिया के लिए प्रासंगिक है। उन्होंने पूरे देश और विश्व को एक नया विचार और संदेश दिया जिसे जीवन में आत्मसात कर समाज में व्याप्त बुराइयों, आडंबरों, पाखंडों, छुआछूत, भेदभाव व अंधविश्वास की भावना को खत्म किया जा सकता है। आज अगर कहीं पर भाईचारा, एकता और प्रेम सौहार्द्र को प्राथमिकता मिलती है तो वह संत कबीर के अमृतरस का ही नतीजा है। उक्त विचार ग्राम मढ़ी में स्वर्गीय रमेशर साहू व राजबती साहू के पुण्य स्मृति में साहू परिवार की ओर से आयोजित हो रहे त्रि-दिवसीय संगीतमय सत्संग समारोह के पहले दिन प्रवचनकार ने व्यक्त की। संतों ने कहा कि बिना भक्ति के मुक्ति असंभव है। मन को धोने के लिए तालाब और नदी जानें की जरूरत नहीं है। मन तो केवल सत्संग से ही धुलता है। परमात्मा की चर्चा जहां न हो वहां नहीं जाना चाहिए। भक्ति से आत्मा का नयन खुल जाता है। गुरू की भक्ति से आत्मा को जाना जा सकता है। भक्ति से भगवान को भी आना पड़ता है। लेकिन आधुनिक युग में भक्ति के लिए लोगों के पास समय नहीं है। यह बहुत चिंतनीय बात है। राजा परसराम की कथा सुनाते हुए उन्होंने आगे कहा कि राजा परसराम की दो रानी भाना और भौशिल्या थी। राजा अपने रानी भाना से कहा कि गुरू आया है उसका चरण धोके चरणामृत ले लो। लेकिन रानी भाना गुरू का मर्यादा नहीं रखी और राजा के बातों का अवहेलना कर दिया। वहीं मायके से ससुराल आई दूसरी रानी भौशिल्या यहां गुरू के दर्शन कर फुले नहीं समाई। और भौशिल्या गुरू का मान-सम्मान करते हुए राजा के आदेशों का पालन किया। पंचायत भवन के पास आयोजित हो रहे सत्संग के प्रथम दिवस चौका आरती और पूजा-अर्चना के साथ कार्यक्रम की शुरूआत हुई। तत्पश्चात आगंतुक सत्संग मंडलियों के संत महात्माओं ने भजन कीर्तन, दोहों और प्रवचनों के माध्यम से रसिक श्रोताओं को सदगुरू कबीर और प्रभु की कथाओं का रसपान कराया। सर्वप्रथम बलौदाबाजार के संत कलाकारों ने कबीर की साखियों की शानदार प्रस्तुती दी। इस दौरान थोड़ा-थोड़ा साहेब का भजन कर ले,नहीं माना वो भाना गुुरू के वचन नहीं माना, मोर हीरा गंवागे कचरा म जैसे अनेक भजनों की प्रस्तुती ने खूब समां बांधा। तदुपरांत निर्वाण भजन मंडली नारा भानसोज और उसके बाद पिरदा भिंभौरी की त्रिवेणी साहू द्वारा पंडवानी की प्रस्तुति दी गई। पंडवानी के कथा प्रसंग में भजनों और कहानियों के माध्यम से महाभारत के कथाओं का विविध शैलियों में चित्रण किया तो श्रवण कर रहे श्रोता भावविभोर हो गए। इस दौरान जनक साहू, सनत साहू, शत्रुहन साहू, संतोष साहू, नंद साहू, कौशल साहू, कैलाश साहू, पवन साहू, रवि साहू आदि उपस्थित थे।