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स्वयंसेवक छात्रों के द्वारा मनाया गया स्वामी विवेकानंद जयंती

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धनंजय दुबे लोरमी सवांददाता

लोरमी-अटल बिहारी बाजपेयी विश्वविद्यालय बिलासपुर से संबंध राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई महाराणा प्रताप उच्चतर माध्यमिक विद्यालय झाफल में स्वामी विवेकानंद जयंती के अवसर पर युवा दिवस मनाया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ विद्यालय से रैली निकाली गई और झाफल में स्थित विवेकानंद मूर्ति पर पूजन- अर्चन -वंदन कर रैली समाप्त की गई । इस कार्यक्रम में स्वामी विवेकानंद जी के विचारों को आत्मसात करने की प्रेरणा मिली तथा स्वयं सेवकों ने उनके द्वारा बताए गए विभिन्न महान कार्य पर विचार विमर्श किया। विद्यालय शिक्षण समिति के अध्यक्ष श्री कोमल सिंह जी ने स्वामी जी के आदर्शों एवं उनके द्वारा किए गए महान कार्यों के बारे में स्वयंसेवकों को बताएं
25 वर्ष की अवस्था में नरेंद्र दत्त ने गेरुआ वस्त्र पहन लिए। तत्पश्चात उन्होंने पैदल ही पूरे भारतवर्ष की यात्रा की। सन्‌ 1893 में शिकागो (अमेरिका) में विश्व धर्म परिषद् हो रही थी। स्वामी विवेकानंदजी उसमें भारत के प्रतिनिधि के रूप से पहुंचे। यूरोप-अमेरिका के लोग उस समय पराधीन भारतवासियों को बहुत हीन दृष्टि से देखते थे। वहां लोगों ने बहुत प्रयत्न किया कि स्वामी विवेकानंद को सर्वधर्म परिषद् में बोलने का समय ही न मिले। एक अमेरिकन प्रोफेसर के प्रयास से उन्हें थोड़ा समय मिला किंतु उनके विचार सुनकर सभी विद्वान चकित हो गए।
रासेयों इकाई कार्यक्रम अधिकारी कमल सिंह राजपूत ने उठो जागो! और तब तक मत रुको जब तक लक्ष्य की प्राप्ति ना हो जाए। उक्ति पर अपना विचार व्यक्त किया ।उक्त अवसर पर शिक्षक टी.आर. प्रधान एवं अन्य सभी शिक्षकों का सहयोग सराहनीय रहा।

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