आस्था के महापर्व छठ के चौथे दिन उदीयमान सूर्य को अर्घ्य दिया गया. इसी के साथ चार दिनों तक चले छठ पर्व का समापन हो गया. गुरुवार सुबह से ही लोग घाटों पर पहुंचना शुरू हो गए. मुहूर्त के अनुसार सुबह 6.41 बजे लोगों ने उगते सूर्य को अर्घ्य दिया और पारण पर्व का समापन हुआ
सुकमा : आस्था के महापर्व छठ के चौथे दिन उदीयमान सूर्य को अर्घ्य दिया गया. इसी के साथ चार दिनों तक चले छठ पर्व का समापन हो गया. गुरुवार को सुबह से ही घाटों पर श्रद्धालु पहुंचने लगे. छठ पूजा के आखिरी दिन को उषा अर्घ्य का दिन भी कहा जाता है. इसे पारण भी कहते हैं, क्योंकि इस दिन उगते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद छठ व्रत का पारण किया जाता है.
खूब होता है गाना बजाना
छठ पर्व के आखिरी दिन सुबह से ही सुकमा के पावन शबरीनदी में लोग नदी घाट पर पहुंचना शुरू हो गए. कई जगहों पर व्रती और उनके परिवार के लोग नदी के किनारे बैठकर उगते सूरज का इंतज़ार करते हैं. सूर्य उगते ही अर्घ्य अर्पित किया गया, इसके बाद व्रतियों ने एक दूसरे को प्रसाद देकर बड़े बुजुर्गों का आशीर्वाद लिया. आशीर्वाद लेने के बाद व्रती अपने घर पहुंचे फिर अदरक और पानी से अपना 36 घंटे का कठोर व्रत खोला.
उषा अर्घ्य का समय
छठ पूजा का चौथा दिन 11 नवंबर 2021, दिन गुरुवार है. इस दिन (उषा अर्घ्य) सूर्योदय का समय सुबह 06:41 बजे था. उषा अर्घ्य अर्थात इस दिन सुबह सूर्योदय से पहले नदी के घाट पर पहुंचकर उगते सूर्य को अर्घ्य देते हैं. यह अर्घ्य सूर्य की पत्नी उषा को दिया जाता है. मान्यता है कि विधि विधान से पूजा करने और अर्घ्य देने से सभी तरह की मनोकामना पूर्ण होती है.
इस तरह से दिया गया अर्घ्य
छठ के अंतिम दिन सूर्योदय से पूर्व शुद्ध होकर स्नान कर
इसके बाद उदित होते सूर्य के समक्ष जल में खड़े हो गए
खड़े होकर तांबे के पात्र में पवित्र जल भर के
उसी जल में मिश्री भी मिला कर
तांबे के लौटे में लाल फूल, कुमकुम, हल्दी आदि डालकर सूर्य को यह जल अर्पित किया गया
दोनों हाथों से तांबे के पात्र को पकड़ कर इस तरह जल चढ़ाया गया कि सूर्य जल चढ़ाती धार से दिखाई दें.
फिर दीप और धूप से सूर्य की पूजा की गई और आशीर्वाद मंगा गया।
इस पावन पर्व के अवसर पर हरीश कवासी अध्यक्ष जिला पंचायत, जग्गरनाथ राजू साहू, अध्यक्ष नगरपालिका परिसद सुकमा का विशेष योगदान रहा ।