भोपाल। कमला नेहरू अस्पताल स्थित हमीदिया अस्पताल के शिशु वार्ड में आग लगने की घटना से बच्चों की मृत्यु के बाद सरकार ने बड़ी कार्रवाई करते हुए गांधी मेडिकल कालेज के डीन सहित तीन को लापरवाही के आरोप में पद से हटा दिया। साथ ही राजधानी परियोजना प्रशासन (सीपीए) के उपयंत्री को निलंबित कर दिया। साथ ही सीपीए से अस्पताल के संधारण का काम लेकर लोक निर्माण विभाग को सौंपा गया है। सभी मेडिकल कालेज, संबद्ध अस्पताल, जिला और निजी अस्पतालों का अनिवार्य रूप से दस दिन के भीतर फायर सेफ्टी और इलेक्ट्रिक सेफ्टी आडिट कराया जाएगा। इसकी समीक्षा कलेक्टर करेंगे। यह निर्णय बुधवार को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में हुई बैठक में लिए गए।
चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने बताया कि मुख्यमंत्री ने घटना के समय ही स्पष्ट कर दिया था कि किसी भी जिम्मेदार का बख्शा नहीं जाएगा। अपर मुख्य सचिव मोहम्मद सुलेमान को जांच का जिम्मा सौंपा गया था। प्रथम दृष्टया जो भी दोषी पाए गए हैं, उनके खिलाफ कार्रवाई करने का निर्णय लिया गया है। गांधी मेडिकल कालेज के डीन डा.जितेन्द्र शुक्ला, हमीदिया अस्पताल के अधीक्षक डा.लोकेन्द्र दवे और कमला नेहरू अस्पताल का भवन, जो कि गैस राहत विभाग के पास है, उसके संचालक केके दुबे को पद से हटा दिया है।
राजधानी परियोजना प्रशासन की विद्युत यांत्रिकी शाखा के उपयंत्री अवधेश भदौरिया को निलंबित कर दिया है। मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए हैं कि इस तरह की घटना की पुनावृत्ति न हो, यह सुनिश्चित किया जाए। इसके लिए तय किया है कि फायर सेफ्टी और इलेक्ट्रिक सेफ्टी आडिट सरकारी और निजी अस्पतालों में सुनिश्चित हो। कलेक्टर देखेंगे कि मेडिकल कालेज, जिला या निजी अस्पताल हो में सुरक्षा संबंधी आडिट कराया गया या नहीं, इसकी रिपोर्ट है या नहीं आदि का जायजा लेंगे।
इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो, इसके लिए विशेषज्ञों के साथ विचार-विमर्श करके यह सुनिश्चित करेंगे कि और क्या-क्या कदम उठाए जा सकते हैं। दरअसल, कोरोना संकट के समय सभी अस्पताल और मेडिकल कालेजों में आक्सीजन की लाइन डाली गई हैं। उन्नयन के काम भी हुए हैं। इसे मद्देनजर रखते हुए व्यवस्थाएं बनाई जाएंगी। बैठक में गृह मंत्री डा.नरोत्तम मिश्रा, नगरीय विकास एवं आवास मंत्री भूपेन्द्र सिंह, स्वास्थ्य मंत्री डा.प्रभुराम चौधरी सहित सभी वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।
चिकित्सा शिक्षा विभाग देखेगा संधारण के काम
बैठक में तय किया गया कि अब मेडिकल कालेज और उससे संबद्ध अस्पतालों के संधारण का काम चिकित्सा शिक्षा विभाग देखेगा। इसके लिए विभाग के अंतर्गत सिविल विंग बनाई जाएगी। बच्चों की मृत्यु के आंकड़ों को लेकर चिकित्सा शिक्षा मंत्री ने कहा कि इस संबंध में अस्पताल प्रबंधन अपना पक्ष स्पष्ट कर चुका है। वार्ड में गंभीर रूप से बीमार बच्चों को ही रखा जाता है। हर मृत्यु को घटना से जोड़कर नहीं देखा जाना चाहिए।
घटना से जुड़े तथ्य जनता के सामने आएं, इसमें कुछ नहीं छिपाना
मुख्यमंत्री ने बैठक में अधिकारियों से कहा कि घटना से संबंधित सभी तथ्य जनता के सामने आने चाहिए। सरकार को इसमें कुछ नहीं छिपाना है। ऐसी घटना भविष्य में न हो, इसके लिए प्रदेश में अभियान चलाया जाएगा।
प्रबंधन और रखरखाव के लिए बनेगा अलग संवर्ग
मुख्यमंत्री ने कहा कि अस्पतालों में डाक्टर पूरी तरह से उपचार पर ध्यान दें, इसके लिए प्रबंधन और उपचार की व्यवस्था को अलग-अलग किया जाएगा। अस्पतालों के प्रबंधन और रखरखाव के लिए अलग संवर्ग बनाया जाएगा। सिविल वर्ग, विद्युत व्यवस्था, उपकरणों के संधारण आदि के प्रबंधन में एजेंसियों का दोहराव न हो, यह भी सुनिश्चित किया जाए। आक्सीजन संचालन को लेकर स्टाफ को विशेष रूप से प्रशिक्षण दिलाया जाएगा।