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करोड़ों रुपए की राशि खर्च करने के बाद भी निगम के अधिकारी नाकामयाब साबित हुए है: अमर अग्रवाल

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  • तालाब धोबीघाट बन गए या बच्चो के खेलने का काम आ रहा

कमलेश लव्हात्रे/बिलासपुर : भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व मंत्री अमर अग्रवाल ने कहा है कि शहर के लोगों की मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु जल स्रोतों के संरक्षण, उनय्यन,सौंदर्यीकरण और विकास के लिए सरोवर धरोहर योजना और स्मार्ट सिटी मिशन अंतर्गत शहर के तालाबों के संरक्षण हेतु नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के मानकों का पालन करते हुए व्यवस्थित योजना बनाकर आवश्यक वित्तीय संसाधनों की व्यवस्था करते हुए मल्टी यूटिलिटी आधारित सुविधाएं नगरीय प्रशासन मंत्री के कार्यकाल के दौरान मुहैया कराई गई। राज्य सरकार की महत्वाकांक्षी सरोवर धरोहर योजना द्वारा इको सिस्टम में सुधार, ब्यूटी फिकेशन और सतत जलापूर्ति व स्वच्छता को बनाए रखने के लिए सुविधाएं उपलब्ध कराई जाती है लेकिन,करोड़ों रुपए की राशि खर्च करने के बाद भी निगम के अधिकारी अमूल्य जल स्त्रोतों के सरंक्षण में नाकामयाब साबित हुए है।शहर के सबसे पुराने तालाबो में एक जरहाभाठा के जतिया तालाब की दशा सुधारने के लिए स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट से संवारने बनाई योजना अधर में लटकी हुई है। शहर के पुराने तालाबों को सुरक्षित रखने और सतत जलापूर्ति उपलब्ध कराने शासन ने सरोवर धरोहर योजना शुरू की थी। योजना के तहत तालाबों का गहरीकरण और सौंदर्यिकरण कराया गया।

उन्होंने बताया कि जतिया तालाब – ओमनगर जरहाभाठा में वर्ष 2017 में – 2. 80 करोड़ रुपए सौदर्यिकरण हेतु,कार्य- चारों ओर पचरी निर्माण, पैठू को जोडऩे के लिए बीच में पुल का निर्माण करने ,तालाब का गहरी करण, चारों ओर तालाब में पिचिंग वर्क आदि के लिए स्वीकृत किया गया था । जिसके कार्य की अवधि 6 माह थी . आरम्भ में तालाब के उनय्यन में ठेकेदार ने तेजी से काम किया लेकिन राशि खत्म होने पर कार्य आज भी अधूरा हैं। पचरी निर्माण करने और करोड़ों खर्च करने के बाद भी तालाब में बारिश होने के बाद भी पानी नही रहता। कुछ ही दिनों में गंदगी पसर जाती है।ठेकेदार ने यहां गहरी करण, चारों ओर पचरी और पुल का निर्माण कार्य शुरू किया था, लेकिन राशि खत्म होने का हवाला देकर काम बंद कर दिया। पिछले 2 साल से तालाब की हालत जस की तस है। तालाब अब बच्चों के खेलने के काम आ रहा है।

इसी प्रकार तारबाहर का डीपू पारा तालाब देखरेख के अभाव में अस्तित्व के संकट से गुजर रहा है।श्री अग्रवाल ने बताया शहर के मध्य में तार बहार इलाके में नगरीय प्रशासन मंत्री रहते हुए उन्होंने स्वयं 2008 में डीपूपारा तालाब का एक करोड़ की 1 राशि स्वीकृति दिलाई। जलकुंभी की समस्या के निदान के लिए विशेषज्ञों की कमेटी बनाकर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के निर्देशानुसार समस्या का निवारण कराया।

तालाब के बीच में कंक्रीट का पुल, चारों तरफ रंग बिरंगी रोशनी, सैर करने के लिए पाथवे, कारपेट ग्रास बच्चों की खेलकूद के उपकरण लगाए गए। आज हालात देखें तो तालाब के चारों ओर लगाई गई लाइटें, कुर्सियां, सजावट के सामान, टाइल्स आदि लगातार चोरी हो रहे हैं।निगम के अधिकारी तालाब की दुर्दशा के नाम पर कन्नी काटते हैं।तारबाहर के डीपूपारा में तालाब के सौंदर्यीकरण पर लाखों रुपए खर्च किए गए। लेकिन फिर देखभाल नहीं की गई। अब हाल ये कि तालाब जलकुंभी से पटे हैं। नौका जर्जर होकर कबाड़ हो गया। यहां लगे झूले टूट गए, हरियाली भी नष्ट हो गई।

मेंटेनेंस के लिए फंड का अभाव बताया जाता है। कचरा, मलबा फेंकने के कारण किनारे का पानी गंदा हो चुका है।तालाब में जलभराव की समस्या है।तालाब की दुर्दशा, मेंटेनेंस के फंड नहीं होने से वर्तमान में सुधार के कोई कार्य नहीं जा सकते हैं। जाहिर है कि स्थानीय प्रशासन तालाबो देखरेख भी जरूरी नहीं समझता। यही हालत शहर के अन्य तालाबो की भी है इनमे से कुछ तालाबों का जीर्णोद्धार और सौंदर्यिकरण के लिए स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट में शामिल किया है, जिसके तहत पाथवे का इलेक्ट्रिफिकेशन, तालाबो का गहरी करण, सौंदर्यिकरण, समेत कई निर्माण कार्य पुनः करोड़ों रुपए खर्च होंगे। सही मायनों में सरोवर की धरोहरों के संरक्षण में स्थानीय सरकार के पास न तो कोई विजन नही है।

अग्रवाल ने कहा भाजपा सरकार के कार्यकाल में तालाबों को संरक्षित करने के लिए करोड़ो रुपये खर्च किए गए थेl लेकिन, कांग्रेस सरकार में ढाई वर्ष के सत्ता संघर्ष में नए कार्य तो दूर,विद्यमान धरोहरों के रखरखाव मे छत्तीसगढ़िया की बातें करने वाले पीछे रह गए।आज शहरी और गांव के जीवन का प्रमुख आधार पेयजल आपूर्ति, निस्तार एवं पर्यावरण सुधार के लिए तालाबों के अस्तित्व पर संकट मंडराने लगा है। इन्हें संरक्षित करने नया स्वरूप देकर उद्यान की तरह विकसित करते हुए उचित रखरखाव के साथ तालाबों में सालभर जलभराव सुविधा कांग्रेस के शासनकाल में ठप्प पड़ गई है। प्राकृतिक धरोहरों के अस्तित्व के संरक्षण के लिए वर्तमान राज्य सरकार एवं स्थानीय प्रशासन की बेरुखी से शहर के तालाबों का अस्तित्व संकट में है

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