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भाजपा आत्महत्या करने वाले 550 किसानों के लिए 50-50 लाख रुपए मुआवजे की मांग को लेकर करेगी आंदोलन

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कमलेश लव्हात्रे/बिलासपुर : भाजपा प्रदेश अध्यक्ष विष्णु साय ने कहा कि छत्तीसगढ़ के किसानों को उनकी उपज का पूरा मूल्य एकमुश्त देने में तो प्रदेश सरकार आर्थिक तंगी का रोना रो रही है, किसानों का पूरा धान ख़रीदने से बचने के लिए नित-नए षड्यंत्र रच रही है, अपनी कुनीतियों के चलते प्रदेश के लगभग 550 किसानों को आत्महत्या के लिए बाध्य करती है, बस्तर के सिलगेर में आदिवासी किसानों पर गोलियाँ बरसाकर उनकी बात तक नहीं सुन रही है, न्यूनतम समर्थन मूल्य के नाम पर रूदाली-स्यापा मचाने वाले मुख्यमंत्री बघेल प्रदेश की मंडियों में 600-700 रुपए प्रति क्विंटल धान बिकने पर मुँह में दही जमाए बैठे रहते हैंl

केंद्र सरकार द्वारा धान के लगातार बढ़ाए जा रहे समर्थन मूल्य के सीधे लाभ से प्रदेश के किसानों को वंचित रखकर जो मुख्यमंत्री बघेल छल-कपट की सारी हदें पार कर रहे हैं, केंद्र सरकार द्वारा उपलब्ध कराए गए ग़रीबों के 1500 करोड़ रुपए के चावल पर डाका डालकर संवेदनहीनता की शर्मनाक क़रतूत जिस प्रदेश में होती है. उस प्रदेश के मुख्यमंत्री अपने प्रदेश के किसानों के साथ राजीव न्याय योजना की आड़ में हो रहे खुले अन्याय से आँखें मूंदकर किसी दूसरे प्रदेश में इस तरह की घोषणाएँ करते एक बार जरूर सोचना चाहिए l

प्रदेश में कांग्रेस शासनकाल में आत्महत्या करने वाले 550 किसानों के घरों तक प्रदेश सरकार का कोई मंत्री तक नहीं पहुँचा। अब भाजपा आत्महत्या करने वाले सभी 550 किसानों के लिए प्रदेश सरकार से 50-50 लाख रुपए मुआवजे की मांग को लेकर सड़क पर उतरेगी।
श्री साय ने कहा कि मुख्यमंत्री बघेल पर लाशों पर राजनीति करने का फ़ितूर इस क़दर हावी हो गया है कि वे छत्तीसगढ़ का हक़ का मारकर स्वामीभक्ति की ओछी राजनीति पर उतारू हो चले हैं। वोटों की फ़सल काटने के लिए मुख्यमंत्री बघेल उत्तरप्रदेश में जिस तरह की ओछी राजनीति कर रहे हैं, वह निंदनीय है

प्रदेश के विकास की बात जब भी आती है, क़दम-क़दम पर पैसों की तंगी का रोना रोते अब कांग्रेस सरकार प्रदेश को बताएँ कि लखीमपुर खीरी के मृत किसानों को देने के लिए करोड़ों रुपए आख़िर वे किस मद से जुटाएँगे? यह घोषणा संवैधानिक और संघीय व्यवस्था के साथ भी खिलवाड़ है।

जब उत्तरप्रदेश सरकार मृत किसानों के नाम पर 45-45 लाख रुपए, उनके एक परिजन को शासकीय नौकरी और घायलों को 10-10 लाख रुपए देने की घोषणा कर चुकी है, तब मुख्यमंत्री बघेल किस संवैधानिक व्यवस्था और अधिकार से अन्य प्रदेश की सरकार की व्यवस्था को ध्वस्त करने की शर्मनाक कोशिश करके संघीय ढाँचे की परम्परा, गरिमा और मर्यादा का चीरहरण करने पर उतारू हैं? श्री साय ने कहा कि छत्तीसगढ़ साम्प्रदायिक तनाव की आग में झुलस रहा है, क़ानून-व्यवस्था तहस-नहस हो रही है, धर्मांतरण का कुचक्र चल रहा है, किसान समेत हर वर्ग प्रदेश सरकार की वादाख़िलाफ़ी से त्रस्त है, प्रदेश में एक ही दिन में दो-दो बड़े प्रदर्शन प्रदेश सरकार के प्रति गहराते जा रहे घोर आक्रोश की तस्दीक कर रहे हैं, ऐसे हालात में प्रदेश की फ़िक्र करना छोड़ मुख्यमंत्री बघेल स्वामीभक्ति दिखाते इधर-उधर भागते फिर रहे हैं, प्रदेश के कल्याण व विकास के बजाय यहाँ के अर्थिक संसाधनों को अपने तुच्छ राजनीतिक स्वार्थों के लिए लुटाने में मशगूल हैं, यह प्रदेश के साथ घोर अन्याय है।

श्री साय ने कहा कि प्रदेश के मुख्यमंत्री सस्ती राजनीति से बाज आएँ, प्रदेश के हक़ पर डाका डालकर स्वामीभक्ति दिखाने के बजाय अपनी उस ज़िम्मेदारी को ईमानदारी से पूरा करें, जिसके लिए छत्तीसगढ़ ने कांग्रेस को सत्ता सौंपी है। अगर छत्तीसगढ़ के हितों से अधिक उन्हें सियासी ड्रामेबाजी करनी है तो प्रदेश का मुख्यमंत्री पद छोड़कर वे अपना यह शौक पूरा करें। छत्तीसगढ़ की जनता ने कांग्रेस को इसलिए सत्ता क़तई नहीं सौंपी है कि उसकी सरकार अपने सियासी फ़ितूर की सनक में छत्तीसगढ़ के संसाधन लुटाती फिरे।

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