मनमोहन सिंह/बैकुण्ठपुर। जिला चिक्तिसालय की स्थिति अभी भी कुछ ठीक नहीं है। जिला चिक्तिसालय मे केवल धन-धान्य सम्सपन्न, शहर के वरिष्ट लोगों को वीआईपी उपचार मिलता है लेकिन ग्रामीण क्षेत्र से आने वाले मरीजों के साथ सौतेला व्यवहार किया जाता है जिसका उदाहरण शुक्रवार की सुबह 3:00 बजे महिला को घरवाले डिलीवरी कराने जिला चिकित्सालय लेकर पहुंचे दर्द से कराह रही महिला के पति ने नर्स को कहा की डिलीवरी का समय हो गया है आप चलकर उपचार कर दें उसी समय नर्स झल्ला उठे और कहीं जहां जाना है जाओ मैं उपचार नहीं करूंगी सभी महिला के पति ने कहा रेफर कर दीजिए हम बाहर चले जाएंगे मरीज कितने कहने के बाद भी नसों के द्वारा उसे रेफर नहीं किया गया। अंततः नर्सों की लापरवाही का नतिजा रहा की नवजात बच्चा जन्म से ही मृत था। तडपती महिला के दर्द का असर एक महिला नर्सों को भी समझ नहीं आया, इनकी ना समझ नें एक जान ले ली, और आनन-फानन मे नर्स के द्वारा उक्त नवजात को आईसीयु मे रखे कुछ देर उसके बाद नवजात के मृत्यु होनें की सुचना नर्स नें परिजनों को दिया, मानों परिजानों के पैरों तले जमीन खिसक गई। यह सुचना सुनते ही परिवार जन अस्पताल के सामनें धरनें पर बैठ गए। जब जिला चिक्तिसालय का हाल बेहाल है, समय पर डाक्टर न रहना नर्सों के द्वारा मनमाना करना जैसे क ई प्रकार की लापरवाही व अनियमित्ताऐं देखनें को आऐ दिन सुननें व देखनें को मिलती रहती है, लेकिन चिक्तिसालय के कर्मचारियों के लिए किसी की जान लेना आमबात सी हो गई है। कई परिजनों के द्वारा थाना मे भी शिकायत हो चूकि है, जिसके बाद भी किसी प्रकार से कार्यवाही नहीं होनें के कारण कर्मचारियों का मनोबल बढा हूआ है। पीड़ित के परिजनों का कहना है कि शासन प्रशासन ऐसे लापरवाह कर्मचारियों के खिलाफ कोई कठोर कार्यवाही करें ताकि जो आज मेरे साथ हुआ है वह किसी और माता पिता के साथ ना हो सके।
जिला अस्पताल में डिलीवरी के दौरान नवजात शिशु की हुई मौत, नर्सों नें मानवता को किया शर्मसार
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