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सरगीगुड़ा पंचायत पर 14 वें वित्त मद की राशि बंदरबांट जांच एवम कार्यवाही की मांग

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टीकम निषाद/देवभोग : सरगीगुड़ा पंचायत सचिव द्वारा गाइडलाइन के विरुद्ध 14 वें वित्त मद की राशि को मे किए गए बंदरबांट को लेकर अब परत दर परत खुलासा हो रहा है शायद यही वजह है कि इस पंचायत पर 15 वें वित्त मद के तहत किए कार्यों की जांच के लिए मांग किया जा रहा है बकायदा इसके लिए जल्द जिला सीईओ से मुलाकात कर शिकायत पत्र देने की बात कही जा रही है क्योंकि ग्रामीणों के मनसा अनुरूप साफ सफाई नाली सड़क मरम्मत चांदनी निर्माण जैसे अन्य कार्य भी हो रहा है।

गौरतलब हो की सरगीगुड़ा सरपंच सचिव ने गाइडलाइन अनुसार 14वें वित्त मद की राशि में मुनाफा कमाने के लिए सिर्फ और सिर्फ निर्माण कार्य को प्राथमिकता दिया जानकारी अनुसार वार्ड 1 पर 1 लाख 79 हजार से अधिक राशि की सीसी सड़क बनाया जाना बताते है जबकि शारदापारा में 30 हजार से मुरुमी कारण बताया जाता है इसके अलावा प्राथमिक शाला भवन मरम्मत के नाम पर 31 हजार निकला साथ ही नाली निर्माण के लिए84 हजार आहरण कर लिए हैं सबसे खास बात यह है की साफ सफाई के नाम पर भी हजारों रुपए निकाला गया लेकिन गांव में गंदगी का अंबार लगा हुआ है गई राशि का शत प्रतिशत उपयोग नहीं होना बताया जाता है।

बावजूद इसके इस तरह की सांठगांठ कर 15वें वित्त मद की राशि को भी भ्रष्टाचार की बलि चढ़ाने के फिराक पर दिखाई पड़ रहे हैं। क्योंकि 15 वें वित्त की राशि को अपने मनमर्जी अनुसार एस्टीमेट बनाकर निर्माण कार्य को अंजाम दिया जा रहा है। ग्रामीणों के अनुसार जितनी राशि सड़क के लिए निकला गया उतना लंबाई चौड़ाई के साथ थिकनेस अनुसार सड़क नहीं बना है साथ ही नाली का भी यही हाल है फिर भी पूरी पूरी राशि आसानी से निकल लिए है मतलब सरपंच सचिव द्वारा अपने फायदे के लिए साफ सफाई सोख्ता गड्ढा चांदनी निर्माण स्वच्छता पेयजल जैसे अन्य कार्य को अनदेखा कर मलाईदार निर्माण कार्य को प्राथमिकता दे रहे हैं शायद यही वजह है कि ग्रामीणों द्वारा 15वें वित्त मद की राशि आहरण पर रोक लगाने की मांग किया जा रहा है क्योंकि ग्रामवासी अव्यवस्थाओं के बीच गुजर बसर करने को मजबूर हैं।

हालांकि सरपंच सचिव द्वारा 15वें वित्त मत के तहत अब तक राशि जारी नहीं होने की बात कहकर अपना अपना पल्ला झाड़ लेते हैं। ।लेकिन 14वें वित्त अंतर्गत आवंटित राशि की आय व्यय जानकारी देने से साफ साफ बच निकलते हैं । मतलब सरकार से आवंटित राशि में से ज्यादातर राशि का आहरण हो चुका है। लेकिन ग्रामीणों के अनुरूप कार्य नहीं होना शासकीय राशि का बंदरबांट करने की ओर इशारा करता है ।

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