संतोष ठाकुर/तखतपुर। भोजली का पर्व नगर सहित पूरे क्षेत्र में हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। छोटी छोटी बालिकायें और महिलाएं टोकरी लेकर मनियारी नदी के विभिन्न घाटों पर विसर्जन के लिए पहुंची। नाग पंचमी के दिन गेहूं के दाने को टोकरी में बोया जाता है। जो रक्षाबंधन सावन पूर्णिमा के दूसरे दिन पवित्र सरोवर नदी में विसर्जन करते हैं। आज बड़े उत्साह के साथ बच्चों और महिलाओं ने देवी गंगा का गीत गाते हुए भोजली का विसर्जन किये। साथ में भजन कीर्तन कर मनियारी नदी पहुचकर पूरे उत्साह और सम्मान के साथ विसर्जन किया और एक दूसरे को भोजली देकर मितान भी बनाए। मान्यता है कि इस दिन मित्र बनाने से साथ पूरी जिंदगी भर रहता है।पंडित जितेंद्र शुक्ला ने बताया कि फसल की प्राण प्रतिष्ठा के रूप में इन्हें छोटी टोकरी या गमले में उगाया जाता हैं। जिस टोकरी या गमले में ये दाने बोए जाते हैं। उसे घर के किसी पवित्र स्थान में छायादार जगह में स्थापित किया जाता है। उनमें रोज़ पानी दिया जाता है। और देखभाल की जाती है। दाने धीरे-धीरे पौधे बनकर बढ़ते हैं, महिलायें उसकी पूजा करती हैं एवं जिस प्रकार देवी के सम्मान में देवी-गीतों को गाकर जवांरा– जस – सेवा गीत गाया जाता है वैसे ही भोजली दाई (देवी) के सम्मान में भोजली सेवा गीत गाये जाते हैं।
भोजली विसर्जन के लिए बालिकायें और महिलाएं टोकरी लेकर मनियारी नदी के विभिन्न घाटों पर पहुंची
![](https://dainikchhattisgarhwatch.com/wp-content/uploads/2021/08/santosh-6-1020x600.jpg)