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प्रकृति प्रेमी महिलाओं ने पेड़ों को राखी बांधकर लोगों को दिया पर्यावरण संरक्षण का संदेश, बिहान समूह की महिलाओं ने मिलकर मनाया रक्षाबंधन पर्व

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जांजगीर-चाम्पा : गंगे मईय्या स्व सहायता समूह बहेराडीह व उजाला स्व सहायता समूह सिवनी की महिलाओं ने अलसी, केला, भिंडी और भाजियों के रेशे निकालकर इस बार बलौदा और अकलतरा ब्लॉक के बिहान स्व सहायता समूह की महिलाओं की मदद से राखियां बनाई है. आज रक्षाबंधन पर्व के अवसर पर यहाँ की प्रकृति प्रेमी महिलाओं ने पेड़ों के तने में राखी बांधकर लोगों को पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया.
नारी शक्ति महिला ग्राम संगठन बहेराडीह की अध्यक्ष श्रीमती साधना यादव सचिव श्रीमती पुष्पा यादव और उजाला स्व सहायता समूह सिवनी की अध्यक्ष श्रीमती पार्वती देवांगन ने बताया कि भारतीय संस्कृति में श्रावणी पूर्णिमा को मनाये जाने वाले रक्षाबंधन पर्व भाई बहन के पवित्र स्नेह का प्रतीक है। यह पर्व मात्र रक्षा सूत्र के रूप में राखी बांधकर रक्षा का वचन देने का नहीं, वरन प्रेम स्नेह समर्पण संस्कृति की रक्षा , निष्ठा के संकल्प के जरिये हृदयों को बांधने का पर्व भी है. उन्होंने बताया कि इस बार इस पर्व की शुरुआत धरती के सभी जीवों को निश्वार्थ भाव से शुद्ध हवा प्रदान करने वाले पेड़ों को साग भाजी और फल फूल के रेशे से निर्मित राखी बांधकर किया. उसके बाद अपने भाइयों को राखी बांधकर विधि विधानपूर्वक पर्व मनाई गई.

छत्तीसगढ़ की 36 भाजियों के बीजों व रेशे से बनेंगी राखियां

कृषि कल्याण मंत्रालय भारत सरकार दिल्ली में छत्तीसगढ़ के 36 प्रमुख भाजियों का पेटेन्ट कराने वाले बहेराडीह के युवा कृषक मित्र दीनदयाल यादव और सिवनी के कृषक संगवारी रामाधार देवांगन ने बताया कि इस बार रक्षाबंधन के पर्व पर रेस्टोरेशन फाउंडेशन के टीम के साथ मिलकर प्रशासन के सहयोग से अलसी, केला, भिंडी, अमारी व चेच भाजी के रेशे से राखियां बनाकर बिहान बाजार में लाया गया, मगर अगली बार की इस पर्व में छत्तीसगढ़ की 36 प्रमुख भाजियों के बीजों और रेशों से बड़े पैमाने पर राखियां तैयार करने का निर्णय लिया है. इस नवाचार के काम में कलेक्टर जितेंद्र शुक्ला ने प्रशासनिक रूप से सहयोग प्रदान करने का आश्वासन दिया है.

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