प्रांतीय वॉच

प्रस्तावः 2011 से सरपंचों को मिल रहा वहीं मानदेय, जनपद व जिला में राषि न कांटकर सीधें ग्राम पंचायत को मिलें फंड

डोंगरगढ़ : जनपद पंचायत सभागृह में सरपंच संघ की बैठक में समस्याओं पर चर्चा हुई। विपक्षी बीजेपी समर्थित सरपंचों ने कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में हो रही वित्तीय समस्याओं पर जमकर हंगामा भी किया। बैठक में कई विशयों पर चर्चा कर प्रस्ताव पारित किया गया। सरपंच संघ के अध्यक्ष आबिद खान की अध्यक्षता में 6 महत्वपूर्ण विशयों पर चर्चा हुई और प्रस्ताव पारित कर राज्य सरकार के नाम ज्ञापन सौंपनें का निर्णय लिया गया। अध्यक्ष खान ने सरपंचों पंचायत कार्य व आ रही वित्तीय समस्याओं को लेकर विस्तार पूर्वक चर्चा की। पहली बार चुनाव जीतकर आएं सरपंचों ने कार्यकाल का अनुभव साझा किया। अधिकतर ने फंड की कमी व नियमों का पेंच बताकर अपनी बातों को रखा। बता दें कि राज्य व केंद्र सरकार के लगातार बदलतें नियमों के चलतें सरपंचों को राषि आहरण करनें में कई तरह की तकनीकी समस्या सामनें आ रही है। मार्केट से उधार में सामान लेकर काम कराना पड़ रहा है। इसी बात को लेकर विपक्षी बीजेपी समर्थित सरपंच बिफर गए और सीधे तौर पर राज्य सरकार के खिलाफ ही आरोप मढ़ दिया। तो वहीं कांग्रेस समर्थित सरपंचों ने योजनाओं को संचालित करनें में आ रही बाधाओं के लिए केंद्र सरकार की नीति को गलत बताया। सत्ता-विपक्ष के सरपंचों के नोंक-झोंक के बीच ब्लॉक भर के सरपंचों की मौजूदगी में 6 विशयों पर सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित है। संघ के सचिव नरसिंग वर्मा ने बैठक का संचालन करतें हुए प्रस्ताव के लिए विशयों को रखा।

मानदेय बढ़ानें व मनरेगा का भुगतान समय पर हो- सरपंचों ने बैठक में पुराना एसओआर दर पर जून 2015 को वर्तमान दर से बदलनें की मांग की। इसके लिए राज्य सरकार के नाम प्रषासन को ज्ञापन सौंपनें का निर्णय लिया। सरपंचों को वर्श 2011 से उसी दर पर दिया जा रहा है, जिसें बढ़ाया जाएं। ग्राम पंचायतों में महात्मा गांधी रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) से कराएं गए कार्यों में मटेरियल भुगतान में लेटलतीफी को लेकर सबसें अधिक समस्या आती है। काम पूर्ण हो जानें के बाद भी सालों का भुगतान लंबित रहता है। ऐसी प्रणाली बनाएं जाएं कि काम पूर्ण होनें के महीनें भर के भीतर ही कार्य एजेंसी को मटेरियल का राषि का भुगतान कर दिया जाएं।

पंचायतों को सीधे मिलें उनका फंड- मनरेगा के कंटेनजेंसी राषि को पुनः देनें की मांग की गई। पंचायतों को हर साल मिलनें वालें फंड का कुछ प्रतिषत जनपद पंचायत व जिला पंचायत द्वारा कांटा जा रहा है। जिससें पंचायत को मिलनें वाली राषि से विकास कार्य प्रभावित हो रहे है। इसे सीधे ग्राम पंचायतों के खातें में हस्तांतरित करनें की मांग सरपंचों ने की। साथ ही सभी तरह के कार्यों को अभिषरण मुक्त किया जाएं। पंचायतों में निर्माण कार्य हो जानें के बाद भी मूल्यांकन में देरी को लेकर भी सरपंचों ने नाराजगी जाहिर की। मार्केट से उधार में सामग्री लेकर उन्हें काम कराना पड़ रहा है।

महिला सरपंच की जगह पति हुए षामिल- चुनाव में महिला आरक्षण के चलतें महिलाएं सरपंच निर्वाचित होकर तो आ जाती है। लेकिन काम-काज में पतियों की दखल की परंपरा आज भी जारी है। बैठकों में महिला सरपंच की जगह उनके पति प्रतिनिधित्व कर रहे है। सरपंच संघ की बैठक में निर्वाचित महिला सरपंच अनुपस्थित दिखी। उनके जगह पर पति ही प्रतिनिधि बनकर सम्मिलित हो गए। जबकि नियमानुसार निर्वाचित जनप्रतिनिधि को बैठकों में षामिल होना चाहिए। महिला को अधिकार नाम मात्र का रह गया है। निर्वाचित महिला रबर स्टांप बनकर पतियों के इषारें पर हस्ताक्षर के लिए ही रह गए है।

प्रतिनिधि मंडल रणनीति बनाकर समस्याओं को राज्य सरकार को कराएंगे अवगत- सरपंच संघ के अध्यक्ष आबिद खान ने बताया कि सरपंच संघ का प्रतिनिधि मंडल बहुत जल्द निर्णय लेकर पारित प्रस्ताव व समस्याओं को लेकर राज्य सरकार को अवगत कराएगा। इसके लिए रणनीति तैयार की जा रही है। सरपंचों को हो रही परेषानियों पर उच्चाधिकारियों से चर्चा किया जाएगा। इस अवसर पर संघ के सचिव नरसिंग वर्मा, उपाध्यक्ष युवराज चंद्रवंषी, लीलार धु्रव, मीना साहू, षैलेंद्री जोषी, महासचिव खेमचंद सोरी, दीपक पटिला, अनिता वर्मा, ऐनकुंवर कंवर, कोशाध्यक्ष बुधारू राम धु्रर्वे, प्रवक्ता मनोज वर्मा, रेवाराम सिन्हा समेत ब्लॉक भर के सरपंच उपस्थित रहे।
फोटो डीजीजी 01 सरपंच संघ की बैठक में कई विशयों पर चर्चा कर पारित किया गया प्रस्ताव।

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