अक्कू रिजवी/कांकेर : अपने पति सत्यवान के लिए यमराज तक को चुनौती देने वाली तथा सत्यवान को मृत्यु द्वार से वापस लाने वाली महासती सावित्री की याद में आदिकाल से ही वट सावित्री महापर्व भारत की महिलाओं द्वारा श्रद्धा पूर्वक मनाया जाता है। कांकेर शहर की नारी शक्ति ने भी आज वट सावित्री महापर्व के पुण्य अवसर पर वट वृक्षों पर सूत्र बांधकर पूजा पाठ किया तथा व्रत रखा। एक समय में कांकेर में बहुत सारे वटवृक्ष हुआ करते थे लेकिन अब उनकी संख्या कम रह गई है, जिनमें से कुछ तो अप्रैल माह के आंधी तूफान में शहीद हो गए। किंतु महादेव वार्ड सारथी पारा का विशाल वटवृक्ष, आशंका के बावजूद न तो गिरा और न कोई विशेष क्षति हुई। यह शहर का सबसे पुराना वटवृक्ष है। बड़गहिन महारानी शिव नंदिनी देवी द्वारा कचहरी तथा आँगा मंदिर परिसर में लगाए गए बरगद सहित अनेक छायादार पेड़ इतने आंधी तूफान में भी सुरक्षित बच गए। वट सावित्री पूजा पाठ के समय महिलाओं ने बड़गहिन राजमाता शिव नंदिनी देवी को हृदय से याद किया।
महिलाओं ने उत्साह पूर्वक मनाया वट सावित्री का महापर्व
