हरिद्वार : एलोपैथी को लेकर दिए गए अपने बयानों से विवादों में घिरे योग गुरु बाबा रामदेव ने अब कहा है कि पतंजलि योगपीठ भविष्य में एलोपैथिक मेडिकल कॉलेज का निर्माण करेगा. रामदेव ने बताया कि योगपीठ द्वारा एलोपैथिक कॉलेज बनाने का मकसद एलोपैथिक एमबीबीएस डॉक्टर तैयार करना है. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि वे एलोपैथी से जुड़ी चिकित्सा और डॉक्टरों का सम्मान करते हैं.
एलोपैथी पर अपने बयानों को लेकर सफाई देते हुए बाबा रामदेव ने कहा कि वह उनका आधिकारिक बयान नहीं था, बल्कि वॉट्सऐप पर मिली एक जानकारी को वे सबसे साझा कर रहे थे. उन्होंने कहा कि अपने बयान को लेकर मैंने माफी मांग ली है, लेकिन फिर भी इस मामले को आगे बढ़ाया जा रहा है.
रामदेव ने आगे कहा, ‘मेरे मन में किसी के लिए दुराग्रह नहीं है और मैं मानता हूं कि एलोपैथी ने करोड़ों जान बचाईं, लेकिन एलोपैथी में कई रोगों की दवाई नहीं है.’ हालांकि उन्होंने कहा कि एलोपैथी से घृणा का कोई सवाल नहीं है, पर आयुर्वेद का सम्मान होना चाहिए. उन्होंने एलोपैथी दवाओं के साथ योग को भी जरूरी बताया और कहा कि वैश्विक महामारी कोरोना वायरस से हमें मिलकर लड़ना होगा.
क्या था विवादगौरतलब है कि कोरोना वायरस संक्रमितों के इलाज में इस्तेमाल की जा रहीं कुछ दवाओं पर रामदेव द्वारा सवाल उठाने जाने पर विवाद खड़ा हो गया था. पिछले दिनों सोशल मीडिया पर जारी एक वीडियो में बाबा रामदेव कथित तौर पर एलोपैथी को ‘एक स्टूपिड’ और ‘दिवालिया साइंस’ बताते नजर आते हैं. वीडियो में रामदेव को यह कहते हुए सुना जा सकता है कि ‘कोविड-19 के लिए एलोपैथिक दवाएं लेने से लाखों लोग मर गए.’ उन्हें कोरोना वायरस के इलाज के लिए इस्तेमाल की जा रही कुछ दवाओं पर सवाल उठाते हुए भी सुना जा सकता है.
रामदेव ने IMA को लिखा था खुला पत्र
रामदेव की इन टिप्पणियों का कड़ा विरोध हुआ, जिसके बाद केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने उनसे ‘बेहद दुर्भाग्यपूर्ण’ बयान वापस लेने को कहा. रामदेव ने रविवार (23 मई) को मजबूर होकर अपना बयान वापस ले लिया. अगले दिन उन्होंने भारतीय चिकित्सा संघ (आईएमए) को खुला पत्र लिखकर 25 सवाल पूछे. उन्होंने पूछा कि क्या एलोपैथी से बीमारियों से स्थायी रूप से छुटकारा मिल जाता है.