पेंड्रा/बिलासपुर : कोरोना संक्रमण के दौरान लोग रोजी और रोजगार के लिए परेशान हैं। वहीं छत्तीसगढ़ में लोगों के पास ‘हरा सोना’ (तेंदुपत्ता) होने के बावजूद सामने खाने का संकट आ गया है। बिलासपुर में मुंशी के खरीदी से इनकार करने के बाद ग्रामीणों ने नारेबाजी करते हुए मंगलवार को तेंदुपत्ता में आग लगा दी। खास बात यह है कि कुछ दिन पहले खुद ही मुनादी करवा कर तेंदुपत्ता तोड़ने के लिए कहा गया था। वहीं प्रबंधक ने किसी भी जानकारी होने से ही इनकार कर दिया है। दरअसल, बिलासपुर में रतनपुर के ग्राम पंचायत चपोरा में संग्राहक तेंदुपत्ता बेचने के लिए पहुंचे तो मुंशी ने खरीदी करने से मना कर दिया। इसके बाद ग्रामीण भड़क गए और मुंशी व प्रबंधक के खिलाफ नारेबाजी करते हुए तेंदुपत्ता में आग लगा दी। ग्रामीणों का कहना था कि पहले दो दिन खरीदी की गई। फिर मौसम खराब होने पर बंद करा दी गई। मौसम साफ हुआ तो मुनादी कराकर पत्ता तोड़ने को कहा गया था। अब तोड़ने के बाद पत्ते लेकर पहुंचे तो खरीदने से ही मना किया जा रहा है।
तेंदुपत्ता की 100 गड्डी बेचने पर मिलते हैं 400 रुपए
आदिवासी क्षेत्रों में ग्रामीण अपनी आजीविका चलाने के लिए तेंदुपत्ता तोड़ने का काम करते हैं। सुबह से लेकर पूरे दिन धूप में मेहनत करने के बाद तेंदुपत्ता एकत्र होता है। संग्राहक 100 गड्डी बेचते हैं तो उन्हें 400 रुपए मिल पाता है। ऐसे में कई लोगों के तो पूरे परिवार ही इसमें शामिल होता है। अब तेंदूपत्ता खरीदी किये जाने से ग्रामीणों के चेहरे खिल गए थे। ग्रामीणों को जहां तेंदूपत्ता बेचने से अच्छी आमदनी भी हो जाती है, वहीं बोनस का लाभ भी मिल जाता है।
प्रबंधक बोले- 12 फड़ हैं, सबकी जानकारी नहीं रख सकता
वहीं दूसरी ओर तेंदुपत्ता खरीदी नहीं किए जाने को लेकर चपोरा के पूर्व सरपंच और प्रबंधक गोवर्धन सिंह का कहना है कि उनके पास 12 फड़ हैं। हर किसी की निगरानी नहीं कर सकते हैं। हर जगह जाते हैं, चेक करने के लिए। तेंदुपत्ता की खरीदी से क्यों मना किया गया है, इसके बारे में कुछ पता नहीं है। अभी जानकारी मिली है तो वहां जा रहा हूं। इसके बाद ही कुछ बता सकूंगा। मेरे पास किसी ग्रामीण ने आज तक ऐसी कोई शिकायत नहीं की है। नियम है कि हरा पत्ता ही ले सकते हैं, सूखा नहीं ले सकते।