- स्टॉफ की सक्रियता से तीन महीने में छह रोगियों को आत्महत्या करने से रोका गया
- 26 कोविड-19 पॉजीटिव महिलाओं ने एम्स में दिया स्वस्थ बच्चों को जन्म
रायपुर : अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, रायपुर में रोगियों को आत्महत्या की मानसिकता से बचाने के लिए कई उपाय अपनाए गए हैं। इसमें इस प्रकार के रोगियों को चिन्हित कर उनकी सतत् निगरानी करने, मनोवैज्ञानिक काउंसलिंग प्रदान करने, ऐसे रोगियों के लिए अतिरिक्त स्टॉफ की तैनाती और एम्स के विभिन्न स्थानों पर उपलब्ध खुली खिड़कियों को जाली से ढंकने और नुकीली वस्तुओं को रोगियों से दूर रखने के उपाय शामिल हैं। इसके साथ ही रोगियों को रचनात्मक कार्य करने और अपने परिजनों से वीडियो कॉल करने की सुविधा भी प्रदान की गई है। इन उपायों की मदद से पिछले तीन माह में छह आत्महत्या के प्रयासों को रोका जा चुका है।
रोगियों में तनाव और आत्महत्या की मानसिकता को दूर करने के लिए एम्स में 11 सदस्यीय कमेटी गठित की गई थी। कमेटी ने अपनी विस्तृत अनुशंसाएं निदेशक प्रो. (डॉ.) नितिन एम. नागरकर को प्रेषित कर दी हैं। इन उपायों में वार्ड, कॉरीडोर, बाथरूम आदि में उपलब्ध खिड़कियों को जाली से बंद करने की अनुशंसा की गई है। केवल आग लगने जैसी आपातकालीन परिस्थितियों के लिए कुछ खिड़कियों में व्यवस्थाएं की जाएंगी। इसके साथ ही मनोरोग चिकित्सा विभाग एक प्रश्नावली तैयार करेगा जो ऐसे रोगियों को उपचार के लिए भर्ती होते समय दी जाएगी। उसके उत्तरों के आधार पर उन्हें मनोवैज्ञानिक सलाह भी प्रदान की जाएंगी। कमेटी ने ऐसे रोगियों के अपने परिजनों के निरंतर संपर्क में बनाए रखने की अनुशंसा की है। इसके बाद एम्स की ओर से वीडियो कॉलिंग के लिए टेबलेट और मोबाइल फोन रोगियों को उपलब्ध कराए गए हैं। एम्स चिकित्सकों और नर्सिंग स्टॉफ को रोगियों को आत्महत्या से रोकने के उपायों के बारे में प्रशिक्षण भी प्रदान करेगा।
प्रो. नागरकर ने बताया कि इन उपायों में से अधिकांश को अपना लिया गया है जिसकी वजह से पिछले तीन माह में छह आत्महत्या को रोकने में मदद मिली। उन्होंने कहा कि यह एक चुनौतीपूर्ण लक्ष्य है मगर एम्स इस दिशा में निरंतर प्रयासरत है कि रोगी किसी भी हालत में आत्महत्या जैसा घातक कदम न उठाएं। प्रत्येक जीवन महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि एम्स की 700 खिड़कियों पर जाली लगाने का कार्य प्रगति पर है और शीघ्र ही इसे पूरा कर लिया जाएगा।
मार्च 2020 से अब तक एम्स में 9003 रोगियों को कोविड-19 के उपचार के लिए एडमिट किया जा चुका है। इसमें से 7812 रोगी ठीक होकर घर जा चुके हैं। अभी लगभग 460 रोगी उपचाररत हैं। अप्रैल माह में 26 कोविड-19 पॉजीटिव महिलाओं ने स्वस्थ बच्चों को जन्म दिया है। वीआरडी लैब में अब तक 2.58 लाख सैंपल जांचे जा चुके हैं जिनमें 33886 सैंपल पॉजीटिव पाए गए। पिछले 24 घंटे में यहां 1374 सैंपल टेस्ट किए गए जिनमें से 438 पॉजीटिव मिले हैं।
बलौदा बाजार के रोगी ने की आत्महत्या
एम्स में 26 अप्रैल को कोविड-19 के लक्षणों वाले बलौदा बाजार के एक 26 वर्षीय पुरुष रोगी को एडमिट किया गया था। इसे 27 और 28 अप्रैल की रात्रि को एनआईवी पर रखा गया। इसकी पत्नी और अन्य स्टॉफ भी वहां उपस्थित था। 27 अप्रैल की मध्यरात्रि के बाद लगभग 2.30 इस रोगी ने डी ब्लॉक की दूसरी मंजिल से छलांग लगाकर आत्महत्या कर ली। उसे तुरंत इमरजेंसी ले जाया गया परंतु रोगी की जान नहीं बच सकी। इस रोगी की पत्नी ने भी आत्महत्या का प्रयास किया मगर एम्स के स्टॉफ के प्रयासों से उसे रोक दिया गया। बाद में इस रोगी की कोविड-19 रिपोर्ट नेगेटिव पाई गई। रोगी के शव को उसके परिजनों को सौंप दिया गया है।