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श्रीमद भागवत ज्ञान यज्ञ का तीसरे दिन जड़ भरत की कथा तथा अजामिल की कथा सुनाकर श्रद्धालुओं को किया भाव विभोर

संतोष ठाकुर /तखतपुर। नगर के ठाकुर पारा वार्ड क्रमांक 07 में आयोजित श्रीमद भागवत ज्ञान यज्ञ का तीसरे दिन गुरूवार 18 फरवरी को वृंदावन धाम से पधारें कथा वाचक पंडित श्री अरुण कुमार शास्त्री जी ने अपने श्रीमुख से जड़ भरत की कथा तथा अजामिल की कथा सुनाकर श्रद्धालुओं को किया भाव विभोर । कथा का आयोजन समय दोपहर 12 बजे से शाम 05 बजे तक। आज की कथा में वृंदावन से पधारे हुए कथावाचक श्री अरुण कृष्ण शास्त्री ने जड़ भरत जी का सुंदर उपाख्यान कहते हुए महाराज जी ने बताया की जीवन में संघ का बहुत बड़ा महत्त्व है। हम जैसे वातावरण में रहते हैं। उसका असर जीवन में जरूर पड़ता है। एक मृग का साथ होने पर जड़ भरत जी को मृग बनना पड़ा। इसलिए जीवन में सब की सेवा करें। लेकिन दुनिया से ममता किसी से नहीं करनी चाहिए। वही अजामिल का चरित्र वर्णन करते हुए बताया की भगवान के नाम का अद्भुत महत्त्व है।अजामिल ने अपने पुत्र का नाम जीवन के अंत समय में पुकारा तो भगवान के पार्षद अजामिल को यमदूतओं से छुड़ाकर भगवान के धाम ले गए । भाव से या को भाव से चाहे जैसे हरिका नाम लिया जाए भगवान का नाम जीव का सदैव कल्याण करता है। जैसे अग्नि चाहे जानकर लगाई जाए अथवा अनजाने में लग जाए । अग्नि सब कुछ जलाकर भस्म कर देती है। उसी प्रकार भगवान का नाम चाहे जान कर लिया जाए अथवा अनजाने में लिया जाए प्रभु नाम सारे पापों को जला कर के भस्म कर देता है। बता दें कि श्रीमद भागवत ज्ञान यज्ञ का दुसरे दिन बुधवार 17 फरवरी को आचार्य श्री अरुण कृष्ण शास्त्री ने कपिल उपाख्यान का वर्णन करते हुए यह बताया बताया की मां देव होती ने जब कपिल भगवान से पूछा की सुख और दुख क्या है। तो भगवान श्री कपिल ने कहा की मां मेरा विस्मरण ही जीवो का सबसे बड़ा दुख है और मेरा सदैव ध्यान करना और मेरे मन मेरे चरणों में सदैव अपने मन को लगा करके रखना। यही जीव का सबसे बड़ा सुख है। सांग शास्त्र का वर्णन करते हुए महाराज जी ने जीवात्मा और परमात्मा के विषय में बताया की आत्मा परमात्मा का ही अंश है। लेकिन माया के कारण यह जीव उस परमात्मा को भूल जाता है। इसी कारण यह जीव बार-बार जन्म और मृत्यु के चक्कर में पड़ा रहता है।

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