रायपुर :रायपुर में कांग्रेस विधायक और संसदीय सचिव विकास उपाध्याय ने पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों का अनोखा विरोध किया। पेट्रोल पंप पहुंचे विधायक और उनके साथियों ने फुल टैंक तेल भराने वाले लोगों को फूल देकर और आरती उतारकर सम्मानित किया। जिन लोगों ने टैंक फुल नहीं करवाए उन्हें फूल दिया गया।
विकास उपाध्याय ने कहा, बढ़ती कीमतों के बाद भी कामकाज के लिए गाड़ियों में तेल भराकर निकलना लोगों की मजबूरी है। हमने आरती की थाली लेकर ऐसे लोगों को खोजने की कोशिश की जो अब भी टंकी फुल करवा रहे हैं। पचासों लोगों में इक्का-दुक्का लोग ऐसे मिले, जिनकी आरती उतारी गई। विधायक विकास उपाध्याय ने कहा, मनमोहन सिंह की सरकार के वक्त क्रूड ऑयल की अंतरराष्ट्रीय कीमत 120 डॉलर प्रति बैरल तक चला गया था। तब भी भारत में तेल इतना महंगा नहीं हुआ था, जितना आज है।
विकास उपाध्याय ने कहा, आज अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत 63 डॉलर प्रति बैरल है। तब भी पेट्रोल की कीमत 100 रुपए लीटर तक पहुंच गया है, तो क्या इसके लिए पिछली सरकारें जिम्मेदार है? विकास उपाध्याय ने कहा, प्रधानमंत्री मोदी देश के सामने झूठ बोल रहे हैं। तेल की कीमतों में इस बढ़त की सबसे बड़ी वजह इस पर लगने वाला टैक्स है। 2013 तक पेट्रोल पर केंद्र और राज्यों के टैक्स मिलाकर करीब 44 प्रतिशत तक होता था। अब यह टैक्स 100-110 प्रतिशत तक कर दिया गया है। भाजपा के 7 साल के शासन काल में जिस तरह से पेट्रोल-डीजल सहित रसोई गैस सिलेंडर के दामों में बढ़ोतरी हुई है, वह आजादी के बाद का पहला उदाहरण है।
PM केयर्स और विदेशी कर्जों का मांगा हिसाब
विधायक विकास उपाध्याय ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से पीएम केयर्स फंड और विदेशी कर्जों का हिसाब मांगा। उन्होंने कहा, 27 मार्च 2020 को पीएम केयर्स का गठन किया गया। प्रधानमंत्री की अपील पर उद्योगपतियों, सेलिब्रिटीज, कंपनियाें और आम आदमी ने इसमें अपना योगदान दिया। माना जा रहा है, अब तक इसमें 200 अरब रुपए हो चुके होंगे। आखिर इस पैसे का हिसाब कौन देगा। 19 जून को केंद्र सरकार ने चीन से 9200 करोड़ रुपए लिए वह पैसा कहां गया।
विकास उपाध्याय ने कहा, देश का 265 टन सोना गिरवी रखा गया। विश्व बैंक से 1 अरब डॉलर और एशियाई विकास बैंक से डेढ़ अरब डॉलर का कर्ज लिया गया। सरकारी कर्मचारियों के TA-DA से 75 हजार करोड़ रुपए काटे तो सांसद और विधायकों के वेतन में 30 प्रतिशत की कटौती के पैसे कहां गए। देश में वित्तीय घाटे की भरपाई के नाम पर तेल पर भारी टैक्स की कमाई के जरिए 20- 25 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा की रकम खजाने में जमा हुई, वो कहां कई।