रायपुर : दिव्यांग विवाह प्रोत्साहन योजना के कारण रायपुर जिले के लालपुर के श्रीमती जानकी और श्री गजेंद्र के जीवन में एक नई रोशनी आई है और अब वे सुखमय दाम्पत्य जीवन बिता रहें हैं। छत्तीसगढ़ सरकार की यह महत्वपूर्ण योजना में से एक है, जो कि दिव्यांगजनों के आर्थिक कल्याण के लिए सहायता राशि के रूप में दी जाती है जिससे वे आत्मनिर्भर बन सकें। इस योजना का लाभ उन्हीं व्यक्तियों को दिया जाता है जो दिव्यांग हैं और शादी कर रहे होते हैं। श्रीमती जानकी ने बताया कि पैर में समस्या होने के वजह से वह हाथों से पैर को सहारा देकर चल पाती हैं। उनके पति श्री गजेंद्र भी मुक-बधिर हैं। उनका विवाह करीब ढाई साल पहले हुआ था। उन्हें योजना के तहत 50 हजार की सहायता राशि दी गई है। जानकी और गजेंद्र का अब एक बेटा भी है। वे संयुक्त परिवार में अपने सास-ससुर, जेठ -जेठानी तथा उनके बच्चों के साथ रहते हैं। उनके परिवार में एक टाटा एस गाड़ी भी है। इस वाहन को बुकिंग में चला कर गजेंद्र अपने परिवार का भरण पोषण करता है। जानकी ने बताया कि दिव्यांगजन प्रोत्साहन योजना सरकार का एक कल्याणकारी कदम है। इससे मिलने वाली सहायता राशि से दिव्यांग आत्मनिर्भरता की ओर आगे बढ़ सकते हैं। प्रोत्साहन राशि के लिए उन्होंने छत्तीसगढ़ सरकार और समाज कल्याण विभाग के प्रति अपना आभार व्यक्त किया है। छत्तीसगढ़ के दिव्यांग इस योजना का लाभ उठा सकते हैं। उन्हें छत्तीसगढ़ का मूल निवासी होना चाहिए। हितग्राही की दिव्यांगता 40 प्रतिशत से अधिक होना चाहिए तथा योजना के लाभ लेने वाले युवक की उम्र 21 से 45 वर्ष के बीच तथा युवती की उम्र अट्ठारह वर्ष से अधिक होनी चाहिए। प्रथम बार शादी करने वाले हितग्राही को ही इस योजना का लाभ दिया जाता है। योजना का लाभ लेने के लिए ऑनलाइन आवेदन भी किया जा सकता है। वर्तमान समय में राज्य शासन ने इस योजना के तहत दिव्यांगजनों को और अधिक सहायता पहुंचाने के उद्देश्य से सहायता राशि बढ़ाकर 1 लाख रूपये कर दी है। इस संबंध में अधिक जानकारी के लिए समाज कल्याण विभाग से संपर्क किया जा सकता है।
विवाह प्रोत्साहन राशि से दिव्यांग : जानकी और गजेंद्र बिता रहे सुखमय दांपत्य जीवन
