अक्कू रिजवी/ कांकेर। आज 10 फरवरी को बस्तर के भूम काल विद्रोह 1910 के आदिवासी सेनापति वीर गुंडाधुर की याद में बस्तर व छत्तीसगढ़ के अन्य स्थानों की तरह कांकेर में भी शानदार रैली निकाली गई, जिसमें भारी तादाद में आदिवासी युवक मोटरसाइकिल पर अथवा पैदल चल रहे थे। रैली में उत्साह पूर्वक वीर गुंडाधुर की याद में नारे लगाए जा रहे थे तथा डीजे पर लोकगीत एवं लोकधुनें बजाई जा रही थी। रैली में आदिवासी समाज के लोग उत्साह पूर्वक मेन रोड से होते हुए सिंगार भाट के गोंडवाना भवन पहुंचे। ज्ञातव्य है कि 1910 का भूम काल विद्रोह अंग्रेज के खिलाफ बस्तर के आदिवासियों ने किया था , जिसका नेतृत्व आदिवासी तथा गैर आदिवासियों ने मिलकर किया था। राजमाता सुवर्ण कुंवर , लाल कालेंद्र सिंह , कुंवर बहादुर सिंह , बाला प्रसाद नाज़िर , मूरत सिंह बख्शी आदि गैर आदिवासी थे किंतु इन सबके नेता सेनापति वीर गुंडाधुर थे जो कि बीजापुर जिले के नेल्सनार गांव के निवासी थे । इस विद्रोह में सैकड़ों आदिवासियों को अंग्रेजों ने मार दिया और सैकड़ों को जगदलपुर के गोलबाज़ार में आज भी मौजूद इमली के पेड़ों से लटका कर फांसी दे दी गई लेकिन गुंडाधुर को वे लोग जीते जी नहीं पकड़ पाए। आज भी उनकी याद में बस्तर के सातों जिलों में लोक गीत गाए जाते हैं तथा लोक कथाएं कही जाती हैं।
वीर गुंडाधुर दिवस पर कांकेर में शानदार आदिवासी बाइक रैली
