- भरण-पोषण के लिए पति,पत्नी को प्रतिमाह 50 हज़ार रुपए देने तैयार
- महिलाओ की भावनाओ से खिलवाड़ करना गंभीर अपराध
- प्यार के जाल में फँसकर विधवा महिला डूबी एक करोड़ के कर्ज में
रायपुर : आज प्रस्तुत एक प्रकरण में अनावेदक की अनुपस्थिति पर गंभीर नाराजगी जाहिर करते हुए संबंधित जिले के पुलिस अधीक्षक के मार्फत उसे आयोग के समक्ष उपस्थित करने के निर्देश दिए।महिलाओ को कमजोर न समझे,उनसे किसी भी तरह की धोखाधड़ी करना अपराध है।आवेदक महिला ने आरोप लगाया कि उनकी भावनाओं से खिलवाड़ करके पूरी सम्पति संबंधित ने हड़प कर ली हैं।इसके चलते महिला के ऊपर लगभग एक करोड़ का कर्ज हो चुका हैं।आयोग के अध्यक्ष ने महिलाओ को इस बात के लिए सतर्क किया है कि प्यार के झूठे जाल में फंसकर अपनी आर्थिक स्वतंत्रतता को न खोये।इसी तरह टीनएजर अपनी संयम को बनाये रखे।समय की नजाकत को ध्यान में रखते हुए सावधानी से कार्य करें। एक अन्य प्रकरण में भरण-पोषण के लिए पति ने पत्नि को प्रतिमाह पचास हज़ार रुपए देने सहमत हुए।कुछ माह पश्चात बच्चो के नाम 40-50 लाख की कीमत वाली फ्लैट पति द्वारा खरीदी करने पर भी सहमत हुए।आयोग ने दम्पति को आगामी मई माह में सुनवाई के लिए समय दिया है।आयोग की समझाइश पर पिता अपने बच्चों से दूरभाष पर बात करने के साथ-साथ सुविधानुसार मिल भी संकेंगे।आज के एक अन्य प्रकरण में आयोग के अध्यक्ष ने कहा कि पर्याप्त दस्तावेज प्रस्तुत करने पर न्याय करने में सुविधा होती है।प्रार्थी एवं अनावेदक प्रकरण के संदर्भ में सम्पूर्ण जानकारी प्रस्तुत करें, ताकि न्याय में अनावश्यक देरी न हो।इसी तरह एक अन्य प्रकरण में उन्होंने कहा कि पारिवारिक जीवन के सफल निर्वहन के लिए पति-पत्नी के बीच संबंधों में मधुरता हो।किसी प्रकार की अनबन होने पर पति का नैतिक दायित्व है कि पत्नि और बच्चों के सम्पूर्ण भरण पोषण के लिए ध्यान दे।इसी तरह वैधानिक तलाक के बिना दूसरी शादी करना अपराध है। आयोग के समक्ष झूठा बयान न करे,ऐसे झूठे बयान पर संजीदगी से कड़ी कार्रवाई की जाएगी।इस प्रकरण में अनावेदक ने आवेदिका के रहने के लिए मकान की व्यवस्था और बच्चों के स्कूल फीस की व्यवस्था की सहमति दी। छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ किरणमयी नायक ने आज विभिन्न जिलों की महिलाओ द्वारा दिए गए आवेदनों की आयोग कक्ष में जन सुनवाई की।आज प्रस्तुत प्रकरण में शारीरिक शोषण,मानसिक प्रताड़ना,दहेज प्रताड़ना, सम्पत्ति विवाद आदि से संबंधित थे।सुनवाई के दौरान सोसल डिस्टेंसिंग व फिजीकल डिस्टेंसिंग एवं सैनिटाईजर का प्रयोग करते हुए कार्यवाही प्रारंभ की गई।